सामान्य अध्ययन मुख्य परीक्षा 2013 प्रश्न पत्र प्रथम
उत्तर लेखन का दृष्टिकोण:
सर्वप्रथम जब हम किसी प्रश्न को हल करने वाले होते हैं तो हमें उस प्रश्न की मुख्य मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए जो कि प्रश्न में पूछे गए हैं इसके बाद हम उस प्रश्न को तीन खंडों में विभाजित कर लेते हैं जिससे आपको उत्तर लेखन में सरलता हो और परीक्षक को आकर्षित भी करे आपका प्रश्न जिसमें सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है
परिचय
परिचय में आपको संगम साहित्य के बारे में बताना है संक्षिप्त में।
मुख्य बिंदु
मुख्य बिंदु के अंतर्गत आपको इसके सामाजिक और आर्थिक गतिविधि को बताएंगे विस्तार से।
निष्कर्ष
अंत में संपूर्ण लेखा संचित सार लिखेंगे।
उत्तर :- संगम साहित्य के द्वारा दक्षिण भारत की प्रारंभिक सदियों की ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है। संगम साहित्य का रचना पांडे शासकों के समय काल में मदुरई में हुआ था। तमिल साहित्य के ग्रंथों में (जिसे हम संगम साहित्य कहते हैं) राजाओं की वीरता का सर्वाधिक बढ़ा चढ़ा कर वर्णन होने के कारण संगम युग में राजनीति इतिहास की मात्रा बहुत उपयोगी नहीं है। परंतु सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विस्तार पूर्वक वर्णन संगम साहित्य प्राप्त किया जा सकता है।
तमिल साहित्य में माणिमेकलै और शिल्पादीकारम जैसे ग्रंथों से उस समय की सामाजिक स्थिति का पूर्ण जानकारी प्राप्त होता है इस ग्रंथों के अनुसार इस समय में ब्राह्मणों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त हुआ करता था किंतु जाति और वर्ण व्यवस्था कठोर नहीं थी। ब्राह्मणों के पश्चात जिनका स्थान होता था उन्हें वेल्लर वर्ग कहते थे। वेल्लर वर्ग के लोग प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए जाते थे और यह युद्ध में भी भाग लेते थे। इस समय काल में भी आठ प्रकार के विवाह प्रथा प्रचलित थी। महिलाओं को जीवनसाथी चुनने का अधिकार था, किंतु विधवा स्त्रियों का जीवन अच्छा नहीं था ,उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो जाती थी। उच्च वर्ग के जातियों में तो सती प्रथा भी प्रचलित थी। ब्राम्हण वैदिक यज्ञ संपन्न कराते थे। ब्राह्मण की हत्या उस समय काल में सबसे बड़ा अपराध माना जाता था। मृत्यु के पश्चात इस समय में दो प्रकार के शवाधान प्रचलित थी एक होता है अग्निदाह और दूसरा समाधि। संगम साहित्य में कहीं भी दास प्रथा का उल्लेख सामान्यता नहीं मिलता है। इससे यह तात्पर्य है की यहां पर किसी व्यक्ति को गुलाम बनाकर नहीं रखा जाता था।
प्रारंभ में तमिल के निवासी युद्ध और पशु हरण में लगे रहते थे। तमिल निवासी पशु चारक होते थे। तमिल निवासियों का जीवन निर्वाह युद्ध में लूट के संसाधन से होता था। लेकिन धीरे-धीरे इनका विकास हुआ और कावेरी नदी के उपजाऊ डेल्टा के कारण कृषि में अतिरिक्त पैदावार होने लगे, जिससे कृषि और वाणिज्य व्यापार जीवन निर्वाह और समृद्धि के साधन प्राप्त होने लगे इस कारण से राज्य को पर्याप्त आय प्राप्त होने लगी तथा इस आय के द्वारा उन्हें सैन्य व प्रशासनिक खर्च की पूर्ति आसानी से हो जाती थी। यह क्षेत्र सूती वस्त्र का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। पश्चिम देशों में रेशम का निर्यात बहुतायत किया जाता था, जिससे भारी मात्रा में लाभ सोने के रूप में प्राप्त होता था। काली मिर्च और हाथी दांत के लिए यह स्थान काफी प्रमुख था क्योंकि यहां से इनका व्यापार भी होता था
इस क्षेत्र को इस प्रकार से पर्याप्त आय होती थी। परंतु अभी नियमित कर प्रणाली इन क्षेत्रों में प्रचलित नहीं थी।
इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि संगम साहित्य से उस समय काल की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों का पता चलता है किंतु राजनीतिक जानकारी वास्तविक नहीं है जो बहुत कम ही उपयोगी है। इन साहित्य के द्वारा दक्षिण भारत के राज्यों के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त की जा सकती है जैसा के विभिन्न ग्रंथों में वर्णित है।
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