सामान्य अध्ययन मुख्य परीक्षा 2013 प्रश्न पत्र संख्या 1
प्रश्न : आरंभिक भारतीय शिलालेखों में अंकित तांडव नृत्य की विवेचना कीजिए ? (100 शब्द) 5 अंक
उत्तर : भारतीय शिलालेखों में अंकित तांडव नृत्य पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव से संबंधित है यह तांडव नृत्य भगवान शिव के विभिन्न स्वभाव को प्रदर्शित करता है। तांडव नृत्य परिवर्तन और विनाश का सबसे प्रबल और ध्वनिक नृत्य है। दक्षिण भारत की सुप्रसिद्ध ऋषि भरतमुनि द्वारा संकलित नाटय शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव ने तांडव को जन्म दिया था। तांडव नृत्य में उपयोग होने वाली 108 हस्त मुद्राओं, भाव भंगिमा अन्य शारीरिक मुद्राएं वर्णित है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तांडव नृत्य के दो मुख्य रूप है - आनंद और रूद्र तांडव। इनमें रूद्र तांडव भगवान शिव के क्रोध और संहार से संबंधित है तथा इसे अत्यधिक ख्याति प्राप्त है। इन नृत्य के अतिरिक्त अन्य शक्तियां भी इसमें निहित है
- सृष्टि- ब्रह्मांड सृजन से संबंधित है।
- स्थिति- संरक्षक के लिए।
- संहार- विनाश के दौरान।
- अनुग्रह- मोक्ष के लिए।
- तिरोभाव- मोह-माया के लिए।
प्रारंभिक भारतीय शिलालेखों में अनेक अवसरों पर किए गए तांडव नृत्य का उल्लेख है।
- सती की मृत्यु के पश्चात भगवान शिव ने अपने दुख और क्रोध को व्यक्त करने के लिए तांडव नृत्य किया था
- यमुना नदी में कालिया नाग के सिर पर भगवान कृष्ण ने तांडव किया था।
- इंद्र भगवान ने जैन तीर्थ कर ऋषभदेव के जन्म पर नृत्य किया था।
इस प्रकार से तांडव नृत्य का संबंध ना केवल हिंदू पौराणिक ग्रंथों के साथ था बल्कि अन्य धर्म के पौराणिक ग्रंथों से भी ताल्लुक रखता था। भगवान शिव के इस तांडव जैसे ही अन्य प्रकार के नेत्रों का जन्म माना जाता है क्योंकि अन्य सभी नृत्यों की मुद्राएं व हाव भाव तांडव नृत्य में समाहित है। जैसे कि भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के चौथे अध्याय में इसका विस्तार वर्णन मिलता है।/
प्रश्नों को हल करने के सलाह :
जब भी हमारे सम्मुख परीक्षा कक्ष में उत्तर पुस्तिका पहुंचती है तो हमें ध्यानपूर्वक अपनी सारी एकाग्रता को प्रश्न पत्र की समझ में झोंक देना चाहिए।
जिस भी प्रश्न को हम हल करने वाले होते हैं उस प्रश्न में हमें यह ध्यान देना होता है कि कुछ पल के दौरान ही हमें उस प्रश्न की रूपरेखा अपने दिमाग में बना लेनी चाहिए जिस से क्या होगा की हमें उत्तर लेखन में सुविधा प्राप्त होगी। सबसे पहले पूछे गए प्रश्न के मुख्य बिंदु को ध्यान में रखकर एक स्वच्छ परिचय लिखते हैं इसके बाद विस्तार से उस प्रश्न की मुख्य भाग लिखते हैं और अंतिम पड़ाव में हमें उस प्रश्न का संपूर्ण निष्कर्ष संक्षिप्त में लिखना बहुत ही आवश्यक है जिससे परीक्षक को आपके उत्तर लेखन का दृष्टिकोण पता चलता है।
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