प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत नगर सभ्यता के तत्वों (लक्षणों) को दर्शाइये।
Question:- Show the elements (characteristics) of urban civilization under the Harappan civilization.
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। जिस प्रकार नगरीय बस्ती ग्रामीण बस्ती से भिन्न होती है उसी प्रकार नगरीय सभ्यता भी ग्रामीण संस्कृति या स्वरूप से अलग होती है।
इस सभ्यता के अंतर्गत नगर सभ्यता के निम्नलिखित तत्वों को उद्घाटित किया जा सकता है-
सांस्कृतिक विविधता :-
यह नगरीय सभ्यता का एक प्रमुख तत्व होता है क्योंकि ग्रामीण स्थलों के विपरीत नगरीय स्थलों पर भिन्न सांस्कृतिक समूह के लोग उपस्थित होते हैं। हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत भी धार्मिक विश्वास, रीति रिवाज, शवाधान पद्धति आदि के स्वरूप में भिन्नता यह सिद्ध करती है कि नगरीय केंद्रों पर भिन्न सांस्कृतिक समूह के लोग उपस्थित थे।
नियोजित निवास:-
नगरीय स्थल का एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है नियोजित निवास।
दूसरे शब्दों में कहें तो, नगरीय बस्ती की बसावट ग्रामीण बस्ती से पृथक होती है। हड़प्पा सभ्यता अपने नियोजित निवास के लिए प्रसिद्ध है।
बस्ती का आकार:-
ग्रामीण स्थलों की तुलना में नगरीय स्थलों का आकार बड़ा होता है। सामान्यतः 20 हेक्टेयर से बड़े आकार वाले स्थल की गणना नगरीय स्थल के रूप में होने लगती है। हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत कई ऐसे नगरीय स्थल है जिनका आकार 60 हेक्टेयर और 100 हेक्टेयर के बीच में है और फिर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे स्थल आकार में उनसे भी बड़े हैं।
लिपि का प्रयोगः-
लिपि (Script) के प्रयोग को भी नगरीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। प्रशासनिक कार्य एवं वाणिज्य व्यापार (Administrative work and commercial business) के संचालन के लिए एक लिपि की आवश्यकता होती है, जैसाकि हम देखते हैं कि हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत भी एक लिपि का प्रचलन था।
बड़ी गैर कृषक जनसंख्या:-
नगरीय सभ्यता का एक लक्षण यह होता है कि एक बड़ी जनसंख्या का गैर कृषि उत्पादन में लगा होना।
व्यापारियों एवं शिल्पियों की जनसंख्या:-
हड़प्पाई नगरीय स्थलों पर एक बड़ी संख्या व्यापारियों एवं शिल्पियों की थी तथा शिल्पों का विशेषीकरण नगरीय समाज की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी।
सक्षम शासक वर्ग की उपस्थितिः-
नगरीय संरचना को बनाये रखने तथा उसके संचालन के लिए एक सक्षम शासक वर्ग की उपस्थिति आवश्यक है। हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत भी एक सक्षम शासक वर्ग उपस्थित था जो ग्रामीण क्षेत्र से अधिशेष का दोहन (Exploitation of Surplus) कर नगरीय क्षेत्र में संग्रहित करता और उसका पुनर्वितरण करता था, साथ ही वह आर्थिक गतिविधियों के लिए उचित माहौल का भी निर्माण करता था ।
सिंधु घाटी की सभ्यता ने, भारत के आगामी नगरीकरण (future urbanization) पर भी अपना प्रभाव छोड़ा। इसकी नगर निर्माण योजना तथा नगरीय जीवन पद्धति का कुछ हद तक बाद में भी अनुसरण (Pursuance) किया जाता रहा।
नगर निर्माण में हड़प्पाई लोगों ने आयोजना (Planning) को विशेष महत्व दिया था। प्रत्येक महत्वपूर्ण नगर दो खंडों में विभाजित था, दुर्ग एवं निचला शहर वर्तमान नगरों में भी सरकारी संस्थानों को रिहायसी इलाके से पृथक रखने की पद्धति प्रचलित है।
हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत सड़क, गली एवं जल प्रबंधन अनुकरणीय था। वर्तमान नगरों में भी मुख्य सड़क के निर्माण पर विशेष बल दिया जाता है। उसी प्रकार, गली एवं जल निकासी की प्रणाली भी नगर निर्माण की आदर्श योजना में शामिल होती है।
हड़प्पाई लोगों ने बड़ी संख्या में पकाई गई ईंटों का प्रयोग किया था वर्तमान में भी निर्माण कार्य में ईंटों का महत्व बना हुआ है। इसके अतिरिक्त हड़प्पाई नगरों की ही तरह वर्तमान भारतीय नगरों का भी बहु- संस्कृतिक चरित्र है।
किंतु कुछ बातों में हम हड़प्पाई नगरीकरण से सीख नहीं ले पाए हैं उदाहरण के लिए हड़प्पाई लोगों का गवर्नेस कहीं बेहतर प्रतीत होता है
अंत में वर्तमान नगर निर्माण की रूपरेखा तैयार करते हुए हमें इस बात के प्रति सावधान रहने की जरूरत है कि आखिर क्यों अपनी तमाम विलक्षणताओं के बावजूद भी हड़प्पाई नगर धारणीय (Sustainable) नही हो सके थे।
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