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भारत में विभिन्न सूफी सिलसिले जैसे चिश्ती सिलसिला,कुतुबुद्दीन बख्तियार,शेख निजाम्मुद्दीन औलिया आदि का वर्णन कीजिए?


भारत में विभिन्न सूफी सिलसिले:-

  • सूफी मत कई सिलसिलों में संगठित हुआ।आइन - ए - अकबरी बहुत सारे सिलसिलों के बारे में बताता है। 
  • इन्हें बे - शारा ' ( शरीयत कानून के विरूद्ध ) एवं ' बा - शारा ' ( शरीयत कानून के पक्ष में ) में विभाजित किया गया था । 
  • वे - शारा, शरिया में विश्वास नहीं करते थे । उन्हें मस्त कलंदर / मलंग / हैदरी कहा जाने लगा । 
  • इन संतों को सामान्यत रूप से बाबा कहा जाता था। उनके लिखित विवरण शायद ही मिलते हैं । 
  • सामान्य रूप से उन्होंने तपस्वी जीवन के अति कठोर रूपों का पालन किया और रस्मों (rituals) की अवहेलना या उपेक्षा की ।
  • बा - शारा सूफियों द्वारा इस्लाम के कानून का पालन किया जाता था। और एक संत द्वारा स्थापित सिलसिले ( Order ) को उनके शिष्यों (disciples) द्वारा जारी रखा जाता था । 
  • प्रमुख सिलसिले तथा सूफी आदेश थे- इनमें चिश्ती , सुहरावर्दी , फिरदौसी , कादरी , नक्शबन्दी आदि जैसे सिलसिले सम्मिलित हैं । 

चिश्ती सिलसिला :-

  • 1142-1236 ईसवी मे चिश्ती सिलसिला की स्थापना भारत में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती द्वारा की गई थी। यह 930 ईस्वी में अफगानिस्तान में हेरात के निकट एक छोटे से शहर चिश्त में आरम्भ हुआ।
  •  ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती द्वारा समाज (society) के गरीब वर्गों हेतु कार्य करने के लिए अजमेर में खानकाह की स्थापना की गई। उनके निधन के बाद अजमेर में प्रति वर्ष मीटिंग का आयोजन किया जाता है। 
  • सूफी सिलसिलों में यह सबसे अधिक विस्तृत है। इस सिलसिले की विचारधारा दीन एकेश्वरवादी यानी वहादत - उल वजूद की अवधारणा पर आधारित था जो वेदान्त दर्शन से बहुत मिलती - जुलती है। 
  • इस सिलसिले के अन्य प्रसिद्ध सूफी संतों में से कुछ इस प्रकार हैं-
फरीदुद्दीन गंजशकर - उन्हें लोकप्रिय रूप से बाबा फरीद के नाम से जाना जाता है और उन्होंने मुख्य रूप से पंजाब क्षेत्र में सूफी मत का प्रचार किया । वह कहा करते थे कि भूख ,समस्या का मूल कारण है ।
 
बख्तियार काकी : ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे । वह राजनीति ,धर्म से इतनी गहराई से जुड़े हुए थे कि कुतुब - उद्द - दीन ऐबक (1206-12
) ने उनकी स्मृति में कुतुब मीनार का निर्माण आरम्भ किया था।

शेख नसीरुद्दीन महमूद : उन्हें ' चिराग - ए - दिल्ली ' या दिल्ली के दीपक की उपाधि दी गई थी। 

शेख निजाम्मुद्दीन औलिया : इन्हें महबूब - ए - इलाही के रूप में जाना जाता है । उन्होंने दुनियादारी को त्याग कर मानवता की सेवा के माध्यम से अल्लाह के निकट जाने में विश्वास किया । अमीर खुसरो उनके सर्वाधिक प्रसिद्ध शिष्य थे ।

नागौर के शेख हमीदुद्दीन : उन्हें सुल्तान - ए - तरकीन की उपाधि दी गई थी और उन्होंने कई फारसी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद किया था।

सुहरावर्दी सिलसिला 
  • इस सिलसिला की स्थापना शेख शाहबुद्दीन सुहरावर्दी द्वारा बगदाद में की गई थी। लेकिन इसकी भारत में स्थापना शेख बहाउद्दीन जकारिया ( 1182-1262 ) द्वारा की गई थी जिन्हें इल्तुतमिश द्वारा शेख - उल - इस्लाम ' की उपाधि दी गई थी। उन्होंने मुल्तान में अपना पहला खानकाह खोला। 
  • उनका विश्वास था कि सूफी को सम्पत्ति ,ज्ञान और हल प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने धार्मिक प्रथाओं का अनुपालन किया और आध्यात्मवाद और इल्म ( विद्वत्ता ) के योग का समर्थन किया।
  •  सिलसिला में दीक्षा प्राप्त करने से पूर्व झुकने जैसी चिश्ती प्रथा को सुहरावर्दियों द्वारा खारिज कर दिया गया था। वे पंजाब ,सिन्ध ,कश्मीर और बंगाल के भागों में लोकप्रिय हो गए। बाद में यह बिहार और बंगाल में फिरदौसी सिलसिला के रूप में जाना गया।
  •  शेख रुकनुद्दीन ( 1251-1335 ईसवी ) के अधीन यह अपने शिखर पर पहुँचा। अन्य उल्लेखनीय सुहरावर्दी संत सैयद तुरुद्दीन मुबारक आदि हैं ।

कादरी सिलसिला-

  • शाह नेमतुल्ला ने इस सिलसिले को भारत में आरम्भ किया। यह पंजाब (विशेष रूप से सिन्ध) में लोकप्रिय हो गया । इस प्रणाली के पीरों ने वहावत - अल - वजूद की अवधारणा का समर्थन किया।
  •  मियाँ मोर इस सिलसिले के प्रसिद्ध पीरों में से एक थे और उन्होंने दारा शिकोह को इसमें सम्मिलित किया दारा के लेखन में उनका प्रभाव देखा जा सकता है। उर्दू शायर हसरत मोहानी और मोहम्मद इकबाल इस सिलसिले से जुड़े थे। 

नक्शबंदी सिलसिला -

  •  इस सिलसिले के सबसे लोकप्रिय संत अहमद सरहिंदी थे।नक्शबंदी सिलसिला भारत में ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी द्वारा स्थापित किया गय था। उन्होंने स्वयं को ' मुजद्दिद या नई सहस्राब्दी के सुधारवादी की उपाधि दी। 
  • अकबर के शासनकाल के दौरान यह लोकप्रिय हुआ। इसकी प्रकृति कट्टरपंथी थी और औरंगजेब इसके अनुयायियों में से एक था।

सत्तारी सिलसिला 

  • इसकी स्थापना शेख सिराजुद्दीन अब्दुल्ला सत्तारी द्वारा की गई थी और यह मालवा , जौनपुर और बंगाल में लोकप्रिय हुआ । 
  • अकबर के दरबार के लोकविख्यात संगीतकार तानसेन इस प्रणाली के अनुयायी थे । 

कुबराविया सिलसिला 

  • यह नजमुद्दीन कुबरा द्वारा आधुनिक तुर्कमेनिस्तान में स्थापित किया गया था । 
  • यह इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित रहा और इसमें कोई अधिक विस्तार नहीं हुआ ।
  •  इसे फिरदौसी सिलसिला के नाम से भी जाना जाता है तथा यह पूर्वोत्तर भारत , बांग्लादेश तथा मॉरीशस में प्रसिद्ध है ।

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