समुद्री निक्षेप (Ocean deposit):-
- समुद्र तली पर एकत्रित होने वाले समस्त पदार्थों को सागरीय निक्षेप कहते हैं । ये प्राय : तलछट के रूप में होते हैं । समुद्री निक्षेप विभिन्न साधनों से प्राप्त होते हैं ।
- इनमें नदियाँ , लहरें , पवन , हिमनद आदि अपरदनकारी शक्तियों द्वारा परिवहित करके लाये गये अवसाद , ज्वालामुखी उद्गार से निसृत पदार्थ , समुद्री प्राणी व वनस्पति अवशेष आदि प्रमुख है ।
- महासागरीय जल में जो भी पदार्थ आते हैं , वे अपने गुण के अनुसार डूबकर या घुलकर उसमें जमा होते रहते हैं । मोटे कंकड़ - पत्थर व रोड़े शीघ्र लुढ़ककर या डूबकर सागर की पेंदी में व तट के निकट एवं बालू कुछ अधिक दूरी पर लहरों के प्रभाव से फैलकर जमा हो जाता है ।
- इसी भाँति चिकनी मिट्टी , रसायन पदार्थ , गाद एवं अन्य घुले हुए तत्त्व सैकड़ों किमी की दूरी तक फैल जाते हैं । ऐसे पदार्थों की प्राप्ति मुख्यतः स्थल से होती है , जबकि गहरे महासागरों के तल पर असंख्य लघु जीवों के कार्बनिक अवशेषों के जमा होने से विशेष प्रकार के जमाव पाये जाते हैं ।
- इसी भाँति महासागरीय तली पर , जल में विविध पदार्थों से होने वाली रासायनिक क्रिया , लोहा ऑक्साइड की गाद , ज्वालामुखी उद्गार से प्राप्त विशेष मिट्टी आदि जमा होती रहती है । कहीं - कहीं बड़ी मछलियों एवं जल जीवों की कठोर हड्डियाँ एवं कॉस्मिक धूल जैसे पदार्थ भी महासागरों की तली में पाये जा सकते हैं ।
- निक्षेपों का सर्वप्रथम अध्ययन सर जॉन मरे ने किया था । महासागरों की विविध गहराइयों में पाये जाने वाले पदार्थों को स्रोत के आधार पर निम्न वर्गों में विभाजित कर सकते हैं
( A ) स्थलजात निक्षेप (Topological deposits)-
- अनाच्छादन के साधनों ( नदी , पवन , हिमानी , लहरें आदि ) द्वारा भूमि से महासागरों के अपतटीय भागों में प्रति वर्ष अरबों टन पदार्थ जमा होता रहता है स्थल से प्राप्त होने के कारण इसे स्थलजात पदार्थ कहते हैं ।
- अकेले नदियों द्वारा ही प्रतिवर्ष लगभग 4,000 करोड़ टन ठोस पदार्थ सागर तली पर जमा किया जाता रहा है ।
- इसके अतिरिक्त इसका दस से बारहवां हिस्सा अर्थात् 300 से 400 करोड़ टन पदार्थ रासायनिक घोल की अवस्था में समुद्री जल में प्रवेश कर अन्ततः जमा होते रहते हैं । इन स्थलजात पदार्थों को उनके भारीपन व आकृति के अनुसार निम्न उपवर्गों में बाँट सकते हैं
( 1 ) गोलाश्म व बालू- बालू या महीन रेत से लेकर 6-8 सेमी व्यास वाले गोलाश्म तट के निकट एवं लहरों के प्रभाव से 2-3 किमी की दूरी तक तथा कभी - कभी तूफानी लहरों के प्रभाव से 30 से 50 किमी . की दूरी तक पाये जा सकते हैं । तट के निकट मोटे कण के पदार्थ या गोलारम जमा होते हैं । शान्त तटीय सागरों में ऐसे जमावों की पेटियाँ लम्बवत् एवं अशान्त सागर में गतिशील जल के कारण क्षैतिज पायी जाती हैं । महीन बालू , चीका व अन्य रासायनिक गाद से मिलकर ये सभी पदार्थ दबाव व गर्मी बढ़ने के साथ - साथ कालान्तर में चट्टानों के रूप में बदलते जाते हैं ।
( ii ) गाद एवं मृत्तिका- यह मध्यम से महीन कण वाले पदार्थ होते हैं । इनके कर्णो की तुलना चिकनी एव दोमट मिट्टी से की जा सकती है । इनका व्यास 1/32 मिमी से लेकर भी हो सकता है । महाद्वीपीय मग्न तट पर दूर - दूर तक इनके जमाव 1/8000 मिमी तक पाये जाते हैं । इनके साथ प्राय : रासायनिक पदार्थ भी घुल जाते हैं । अतः यह सागर तल पर चिकनी दलदली मिट्टी की भाँति जमा होते हैं । प्रायः ऐसे ही जमावों से परतों के रूप में अवसादी चट्टानें ठोस व कठोर रूप धारण करती रहती हैं । इनमें सिलिका , फेल्सपार , क्वार्ट्ज , अभ्रक जैसी चट्टानों के महीन कण विशेष रूप से पाये जाते हैं ।
( iii ) रासायनिक यौगिक एवं पंक- नदियों में चूना , लवण , क्षार , लोहा , गन्धक व अन्य तत्त्वों के यौगिक घुली हुई अवस्था में महासागरीय जल में मिलते रहते हैं । भूतल के अनेक प्रकार के धातु व अधातु खनिजों के घोल भी थोड़ी - बहुत मात्रा में महासागरीय जल में घुले रहते हैं , यही रासायनिक घोल या यौगिक कहलाते हैं । ऐसे पदार्थ महाद्वीपीय चबूतरे के साथ - साथ महाद्वीपीय ढालों पर भी 200 से 2,000 मीटर की गहराई तक पाये जा सकते हैं । इसके अतिरिक्त अत्यधिक महीन कण वाले रासायनिक पदार्थ सागर जल से रासायनिक क्रिया करके विविध रंगों वाली पंक का जमाव , सुदूर सागरों एवं अगाध सागरीय मैदानों में करते रहते हैं । इनमें अधिकतर चूना , सिलिकेट एवं लोहा ऑक्साइड के घुले हुए पदार्थ होते है । ऐसी पंक प्रायः लाल,नीले व हरे रंग में मिलती है ।
( अ ) लाल पंक- इसमें लोहे का ऑक्साइड अधिक होने से इसका रंग लाल होता है । इसके अतिरिक्त इसमें चूना भी मिलता है । इसका विस्तार मुख्यत : पीला सागर व ब्राजील तट के निकट तथा अन्ध महासागर में कहीं - कहीं पाया जाता है ।
( ब ) नीला पंक- यह अधिकतर ठण्डे सागरों में पायी जाती है । इसमें थोड़ी मात्रा में लोहे का सल्फाइड , स्फटिक , चूने के अंश , चीका एवं जैविक तत्त्वों के अपघटित पदार्थ पाये जाते हैं । इसका विस्तार दक्षिणवर्ती हिन्द महासागर , दक्षिणी अन्ध महासागर एवं आर्कटिक महासागर में तट से 200 से 800 किमी तक की दूरी पर पाया जाता है ।
( स ) हरा पंक- नीले रंग की पंक का रासायनिक विघटन होने से यह पंक बनती है । यह पंक सिलिका , पोटैशियम , लौह ऑक्साइड , लौह सिलिकेट , चूना एवं अणुमय जीवांशों के अपघटित पदार्थों का जटिल यौगिक स्वरूप है । इस पंक में संवेदनशीलता बहुत अधिक होती है । अतः तट से दूर शान्त सागरीय प्रदेशों में सागर की तली पर ही यह जमा हो पाती है । इसका जमाव उत्तरी अमेरिका के प्रशान्त व अन्ध महासागरीय शान्त तटों पर , उत्तमाशा अन्तरीप एवं जापान सागर तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तट से कुछ दूरी पर पाया जाता है । तट के निकट अन्य स्थलजात जमावों की अधिकता के कारण भी हरा पंक प्राय: अदृश्य हो जाता है
( B ) ज्वालामुखी निक्षेप (volcanic deposits)-
- महासागरीय तली में एवं तटवर्ती द्वीपों पर सक्रिय ज्वालामुखी उद्गारों से निकली धूल , राख एवं दलदल महासागरों को प्राप्त होते रहते हैं ।
- ऐसे जमाव सभी सक्रिय ज्वालामुखी के निकटवर्ती सागरों में , पश्चिमी प्रशान्त में दूर - दूर तक , भूमध्य सागर एवं पश्चिमी व पूर्वी द्वीपसमूह में बीच - बीच में सागर तल पर पाये जाते हैं ।
- इनका जमाव प्रायः भूरा या लाल रंग का होता है । कभी - कभी यह नीले पंक के समान भी पाये जा सकते हैं । अपघटित होने पर यह लाल मृत्तिका की भाँति भी पाये जाते हैं ।
( C ) कठोर जीवावशेष (Hard fossils)-
- महासागरों की तली में विशालकाय ह्वेल , डाल्फिन , सील वालरस व अन्य बड़े जीवों के मरने से उनके कठोर हिस्से दूर - दूर बिखरे पड़े मिलते हैं ।
- यह सामान्यत : रीढ़ की हड्डी , खोपड़ी , दाँत एवं इसी प्रकार के कठिनाई से घुलने वाले पदार्थ होते हैं ।
- ऐसे हिस्से सागर जल में भी सरलता से नहीं घुल पाने के कारण हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सकते हैं । इनके जमाव सभी महासागरों में दूर - दूर तक बिखरे हुए पाये जा सकते हैं ।
( E ) गम्भीर सागरीय जमाव (Severe ocean deposits)-
- यह जमाव अधिकांश महासागरीय बेसिनों एवं गहरे सागरों के तल पर दूर - दूर तक पाये जाते हैं । वास्तव में यह सागर तल की ऊपरी सतह पर विकसित असंख्य अणुमय या लघुरूप वाले जीवों के निरन्तर मरने के पश्चात् जमा होने वाले जीवावशेष एवं उनके अपघटित रूप हैं । अत : इन्हें कार्बनिक या जैविक जमाव या ऊज भी कहते हैं ।
- यह जमाव सागर तल पर हल्के दलदल की भाँति होते हैं , अतः इन्हें पंक कहा गया है । यह सभी गहरे सागरों की तली पर पाये जाते हैं ।
( D ) धात्विक निक्षेप (metallic deposit)-
- पिछले दशकों में महासागरों की तली एवं अगाधमहासागरीय बेसिनों के विशेष जमावों की जो खोज अत्याधुनिक संवेदनशील तकनीक से की गई ,उसी आधार पर सभी महासागरों के बेसिनों में कहीं - कहीं गाद के रूप में संग्रथित धात्विक जमाव पाये गये हैं ।
- अद्घष्ण एवं उष्ण सागरों के बेसिनों में ऐसे धात्विक जमाव अनेक बेसिनों की तली पर खोजे जा चुके हैं । इनका जमाव घनत्व साम्यता , धात्विक समरूपता व उसमें होने वाली समान रासायनिक क्रिया के आधार पर सागर तल पर होता रहता है ।.
- अभी तक ताँबा सीसा , जस्ता , लोहा आदि के विशिष्ट स्थानिक जमाव केन्द्रों का पता चल सका है ।
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