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राज्यपाल की नियुक्ति ,पद की शर्तें ,कार्य और शक्तियां ,संबंधित अनुच्छेद (appointment of governor, conditions of governor, work and power, related article of governor) ?

A.राज्यपाल (Governor)की नियुक्ति कैसे होती है ?

B.राज्यपाल के पद की शर्तें कौन-कौन सी हैं
C.राज्यपाल की पदावधि कितनी होती है
D राज्यपाल की कार्य शक्ति एवं कार्य कौन-कौन से हैं
E राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति कौन-कौन से हैं
F.राज्यपाल से संबंधित अनुच्छेद कितने हैं ?


परिचय :- 


भारतीय संविधान(Constitution )में केंद्र के समान ही राज्य में भी संसदीय (Parliamentary)व्यवस्था है संविधान के छठे भाग में राज्य में सरकार के बारे में बताया गया है।
छठी भाग के अनुच्छेद 153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका (State Executive)के बारे में वर्णन है ‌‌। राज्यपाल, मुख्यमंत्री(Chief minister) ,मंत्रिपरिषद और राज्य के महाधिवक्ता आदि कार्यपालिका में शामिल होते हैं। केंद्र में उपराष्ट्रपति (Vice-president) की तरह ही राज्य में भी उपराज्यपाल (vice-Governor) का कोई कार्यालय नहीं होता है। राज्यपाल राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है और केंद्र का प्रतिनिधि भी होता है। सातवें संविधान संशोधन (Amendment) अधिनियम 1956 के तहत एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है जोकि 1956 से पहले प्रत्येक राज्य के लिए एक राजपाल होता था।

A.राज्यपाल की नियुक्ति (Appointment) कैसे होती है ?


राज्यपाल को जनता द्वारा सीधे नहीं चुना जाता है और ना ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया से उसका चुनाव होता है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के मोहर लगे आज्ञा पत्र के माध्यम से होता है। इस प्रकार वह केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत होता है। लेकिन यह एक स्वतंत्र संवैधानिक कार्यालय है और यह केंद्र सरकार के अधीनस्थ नहीं होता है उच्च न्यायालय की 1979 की व्यवस्था के अनुसार ऐसा प्रावधान है। कनाडा मॉडल को ही भारतीय संविधान में राज्यपाल नियुक्ति के लिए अपनाया गया है ना कि अमेरिकी मॉडल को जिसमें राष्ट्रपति राज्यपाल को नियुक्त नहीं करता है।

राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति को ही अपनाया गया इसके पीछे निम्नलिखित कारणों है:
1.राज्यपाल का सीधा निर्वाचन (Election) राज्य में स्थापित संसदीय व्यवस्था की स्थिति के प्रतिकूल हो सकता है।
2.मुख्यमंत्री और राजपाल के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती थी सीधे चुनाव की व्यवस्था से।
3.राज्यपाल के सीधे चुनाव में जटिल व्यवस्था और भारी धन का खर्च होता जिसका कोई अर्थ नहीं है।
4.सीधे निर्वाचित राज्यपाल किसी दल से जुड़े होते हैं तो वह निष्पक्ष व निस्वार्थ भूमिका नहीं निभा पाते हैं।
5.सीधे चुनाव से अलगाववाद की धारणा अपना शुरू हो जाती।
6.सीधे निर्वाचन से राज्य में आम चुनाव के समय एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है।
7.सीधी निर्वाचन के समय मुख्यमंत्री चाहेगा कि राज्यपाल के लिए उसका ही उम्मीदवार चुनाव लड़े।
8. राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की व्यवस्था से राज्यों पर केंद्र का नियंत्रण बना रहेगा जो भी राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए बहुत ही जरूरी है।
संविधान ने राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिए दो अर्हताएं निर्धारित की है
1.भारत का नागरिक होना चाहिए।
2.वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
लेकिन वर्तमान समय में इसके अतिरिक्त दो अन्य परंपराएं भी जुड़ गए हैं।
3.उसे बाहरी होना चाहिए। जिस राज्य में उसे नियुक्त किया जाए ,उस राज्य से उसे संबंधित नहीं होना चाहिए।
4. जब राज्यपाल की नियुक्ति हो तब परामर्श करना आवश्यक है।
लेकिन इन दोनों परंपराओं पर कुछ मामलों में अनदेखा किया गया है।

B.राज्यपाल के पद की शर्तें (Conditions) कौन-कौन सी हैं


राज्यपाल के पद के लिए संविधान में निम्नलिखित शब्दों का निर्धारण हुआ है।
  • राज्यपाल को संसद और विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए अगर वह उनका सदस्य है तो पद ग्रहण के समय उस सदन की सदस्यता को त्यागना होगा।
  • उसे किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
  • राज्यपाल के द्वारा बिना किराया राज्यपाल को राजभवन उपलब्ध होगा।
  • संसद द्वारा निर्धारित समय उपलब्धियों विशेषाधिकार (privileges)और भक्तों के लिए अधिकृत होगा।
  • यदि राज्यपाल दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल नियुक्त होता है तो राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के अनुसार ही दोनों राज्य मिलकर उपलब्धि और भत्ते प्रदान करेंगे।
  • राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान उनकी आर्थिक उपलब्धियों व भक्तों को कम नहीं किया जा सकता है।
  • संसद द्वारा 2018 में राज्यपाल का वेतन(Salary) 1.10 लाख रुपए से बढ़ाकर ₹3,50000 प्रतिमाह कर दिया गया है। राज्यपाल को भी राष्ट्रपति की तरह अनेक विशेषाधिकार और उन्मुक्त इयां प्राप्त हैं।
  • राजपाल अपने कार्यकाल के दौरान अपराधी कार्यवाही की सुनवाई से और मुख्य प्राप्त है और उसे गिरफ्तार (Arrest) कर कारावास में नहीं डाला जा सकता है। लेकिन 2 महीने के नोटिस पर व्यक्तिगत क्रियाकलापों पर उनके विरुद्ध नागरिक (Civil law) कानून संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है।
  • किसी व्यक्ति द्वारा राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पहले राज्यपाल सत्य निष्ठा की शपथ लेना होता है अवश्य पथ में राज्यपाल प्रतिज्ञा करते हैं कि-
  • निष्ठा-पूर्वक दायित्वों का निर्वाह करेंगे
  • संविधान और विधि की रक्षा संरक्षण और प्रतिरक्षा करेगा।
  • स्वयं को राज्य की जनता के हित व सेवा में समर्पित करेगा।
  • राज्यपाल को शपथ (Oath) उस राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा उपलब्ध वरिष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं।

C.राज्यपाल की पदावधि कितनी होती है ?


आमतौर पर राज्यपाल का कार्यकाल उसके पद ग्रहण से लेकर 5 वर्ष तक की अवधि तक होता है किंतु इसके अलावा राज्यपाल कभी भी राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।
उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस बुलाया जा सकता है अर्थात त्यागपत्र मांगा जा सकता है। संविधान में ऐसी कोई भी विधि नहीं है जिससे राष्ट्रपति राज्यपाल को पद से हटा दें।
राष्ट्रीय मोर्चा सरकार द्वारा 1989 में उन सभी राज्यपालों से त्यागपत्र मांग लिया गया था जिन्हें कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था और 1991 पी वी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेसी सरकार बनी और उसने चंद शेखर सरकार द्वारा नियुक्त 14 राज्यपालों को बदल दिया था।
राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को उसके बच्चे के कार्यकाल के दौरान ही किसी अन्य राज्य में भेजा जा सकता है और कार्यकाल पूरा होने के बाद भी दोबारा उसे उस राज्य या अन्य राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। किसी आकास्मात घटना के दौरान राष्ट्रपति राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अस्थाई तौर पर राज्यपाल का कार्यभार सौंप सकता है

D. राज्यपाल की कार्य,शक्ति एवं कार्य कौन-कौन से हैं ?


राष्ट्रपति के ही तरह राज्यपाल को भी कार्यकारी,विधाई,वित्तीय और न्यायिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। लेकिन राष्ट्रपति की तरह कूटनीतिक,सैन्य या आपातकालीन शक्ति प्राप्त नहीं होती है
राज्यपाल की शक्तियां और उनके कार्यों को हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं।
1.कार्यकारी शक्तियां
2.विधाई शक्तियां
3.वित्तीय शक्तियां
4.न्यायिक शक्तियां

1.कार्यकारी शक्तियां (Executive power)


राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियां निम्न प्रकार है।
  • राज्य सरकार के सभी कार्यकारी कार्य अनौपचारिक रूप से राज्यपाल के नाम पर होते हैं।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है और कुछ विशेष राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड तथा उड़ीसा में जनजाति कल्याण मंत्री राज्यपाल द्वारा ही नियुक्त होगा।
  • राज्यपाल राज्य के महाधिवक्ता को नियुक्त करता है।
  • राज्यपाल राज्य के निर्वाचन आयुक्त को नियुक्त करता है और उसकी कार्य अवधि और सेवा शर्तो को तय करता है और उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह ही हटाया जा सकता है।
  • राज्यपाल राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य को नियुक्त करता है लेकिन उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति ही हटा सकता है ना कि राज्यपाल।
  • मुख्यमंत्री से प्रशासनिक मामलों या किसी विधाई प्रस्ताव की जानकारी राज्यपाल प्राप्त कर सकता है।
  • यदि किसी मंत्री ने कोई निर्णय लिया हो और मंत्रिपरिषद उस पर ध्यान ना देते हो तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री को इस मामले पर विचार करने को कह सकते हैं।
  • राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपतिय से राज्य में संवैधानिक आपातकाल के लिए सिफारिश कर सकता है और राष्ट्रपति शासन के दौरान उसकी कार्यकारी शक्तियां का विस्तार राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में हो जाता है।
  • राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है और वह राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति कौन नियुक्त करता है।

2.विधाई शक्तियां (legislative power)


राज्यपाल राज्य विधानसभा का एक अभिन्न अंग होता है इसलिए राज्यपाल की निम्नलिखित विधाई शक्तियां एवं कार्य है।
  • राज्यपाल द्वारा राज्य की विधानसभा के सत्र को सत्रावसान और विघटित किया जा सकता है।
  • राज्यपाल द्वारा विधानमंडल के प्रत्येक चुनाव के पश्चात पहले और हर साल के पहले सत्र को संबोधित किया जा सकता है।
  • राज्यपाल विधानमंडल के किसी सदन को विचाराधीन विधायकों या अन्य किसी मामले पर संदेश भेज सकता है।
  • राज्यपाल विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त होने की स्थिति में विधानसभा के किसी सदस्य को कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त कर सकता है।
  • राज्यपाल द्वारा राज्य की विधान परिषद के कुल सदस्यों के छठे भाग को नामित किया जा सकता है जिन्हें साहित्य, विज्ञान ,कला और सेवा क्षेत्र का ज्ञान हो।
  • राज्यपाल विधानसभा के लिए एक आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य की नियुक्ति कर सकता है।
राज्य विधान मंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल के पास भेजे जाने की स्थिति में उनके कार्य निम्न हो सकते हैं।
(अ.) राजपाल विधेयक को स्वीकार कर सकता है।
(ब.) स्वीकृत के लिए उसे रोक सकता है।
(स.) विधायक को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है ( किंतु धन विधेयक को नहीं) हालांकि राज्य विधान मंडल द्वारा पुणे पर देह को भेजे जाने पर राज्यपाल को अपनी स्वीकृति देने आवश्यक होते हैं।
(द.) राजपाल विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है जब कभी न्यायालय की स्थिति को खतरा हो किसी भी देश से या संविधान के अपबंधुओं के विरुद्ध हो।
राज्यपाल का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है अध्यादेश की घोषणा ,जो राज्य की विधानमंडल का सत्र ना चल रहा हो तो औपचारिक रूप से घोषित किया जा सकता है तथा इन अध्यादेश को विधानमंडल से छह हफ्तों के भीतर स्वीकृत होनी आवश्यक होती है वह किसी भी समय किसी अध्यादेश को समाप्त भी कर सकता है।
राज्यपाल राज्य के लेखों से संबंधित राज्य वित्त आयोग ,राज्य लोक सेवा आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को राज्य विधानसभा के सामने प्रस्तुत करता है।


3.वित्तीय शक्तियां (financial power)


राज्यपाल की वित्तीय शक्ति हम कार्य निम्न प्रकार हैं।
  • वह सुनिश्चित करता है कि राज्य के बजट को राज्य विधानमंडल के सामने रखा जाए।
  • धन विधेयक को राज्य की विधानसभा में उसकी पूर्व सहमति के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • बिना राज्यपाल की सहमति के किऐ तरह के अनुदान की मांग नहीं की जा सकती है।
  • राज्यपाल किसी अप्रत्याशित व्यय के वहन के लिए राज्य की आकास्मिक निधि से अग्रिम ले सकता है।
  • पंचायतों एवं नगरपालिका की वित्तीय स्थिति की अर्थ 5 वर्ष बाद समीक्षा के लिए वह वित्त आयोग का गठन करता है।


4.न्यायिक शक्तियां(Judiciary power)


राज्यपाल की न्यायिक शक्तियां एवं कार्य निम्न प्रकार हैं।
  • राज्यपाल को यह शक्ति होती है कि किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा उसका  विराम या परिहार करने की अथवा दंड आदेश के निलंबित या लघु करण कर सकता है।
  • राष्ट्रपति द्वारा विचार के बाद ही राज्यपाल संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।
  • राज्यपाल उस राज्य के उच्च न्यायालय के के साथ विचार कर जिला न्यायाधीश की नियुक्ति स्थानांतरण और प्रोन्नति कर सकता है।
  • राज्यपाल जिला न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायिक आयोग से जुड़े लोगों की भी नियुक्ति करता है इन नियुक्तियों मे उच्च न्यायालय और राज्य लोक सेवा आयोग से विचार करता है।


E. राज्यपाल की संवैधानिक (Constitutive) स्थिति कौन-कौन से हैं


राज्यपाल अपनी शक्ति कार्य को मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कर सकता है सिर्फ उन मामलों को छोड़कर जिसमें उसे अपने विवेक का इस्तेमाल कर निर्णय लेना होता है।
राज्यपाल के संवैधानिक विवेकाधिकार निम्नलिखित मामलों में हैं।
  • राज्यपाल राष्ट्रपति के लिए विधेयक को आरक्षित कर सकता है।
  • राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।
  • राजपाल पड़ोसी केंद्र शासित राज्य में बतौर प्रशासक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • विशेष राज्यों में खनिज उत्खनन की रॉयल्टी के रूप में जनजातीय जिला परिषद को देय राशि का निर्धारण कर सकते हैं।
  • राज्यपाल राज्य के विधान परिषद एवं प्रशासनिक मामलों में मुख्यमंत्री से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों का अध्ययन अनुच्छेद 154,163 एवं 164 के उपबंध से कर सकते हैं।
अनुच्छेद 154 - राज्य की कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल में निहित होती हैं राज्यपाल समस्त कार्य सीधे या अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा संपन्न करा सकते हैं।
अनुच्छेद 163 -विवेकाधिकार वाले कार्यों के अलावा राज्यपाल को अन्य कार्य को मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर करनी होगी।
अनुच्छेद 164 -राज्य मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी विधानमंडल के प्रति होगी।
उपर्युक्त से यह स्पष्ट है कि राज्यपाल की स्थिति राष्ट्रपति की तुलना में निम्नलिखित दो मामलों में भिन्न है।
1.संविधान में इस बात की कल्पना की गई है कि राज्यपाल अपने विवेक के आधार पर कुछ स्थितियों में काम करेंगे। जबकि राष्ट्रपति के मामले में ऐसी कल्पना नहीं की गई है।
2.राष्ट्रपति के लिए मंत्रियों की सलाह की बाध्यता तय की गई है। संविधान संशोधन 42 वे 1976 में यह प्रावधान राष्ट्रपति के लिए हुआ।

राज्यपाल द्वारा राजनीतिक स्थिति के मामले में अप्रत्यक्ष निर्णय निम्न मामलों पर हो सकते हैं।
  • विधानसभा चुनाव में किसी दल को पूर्ण बहुमत ना मिलने पर या कार्यकाल के दौरान अचानक मुख्यमंत्री का निधन हो जाने पर।
  • विधानसभा में विश्वास मत हासिल ना करने पर मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी के मामले पर।
  • मंत्रिपरिषद के अल्पमत में आ जाने पर विधानसभा को विघटित करना।

  • इन मामलों के अतिरिक्त कुछ विशेष मामलों में राष्ट्रपति के निर्देशन पर राज्यपाल के विशेष उत्तरदायित्व होते हैं जो मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद से परामर्श लेती है और अपने विवेक से निर्णय लेता है जो निम्न प्रकार है।
  • महाराष्ट्र के विदर्भ एवं मराठवाड़ा के लिए पृथक विकास बोर्ड की स्थापना करना।
  • गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के लिए पृथक विकास बोर्ड की स्थापना करना।
  • नागालैंड के सांग नागा पहाड़ी पर अतिरिक्त विघ्नों के चलते कानून एवं व्यवस्था के संदर्भ में।
  • असम के जनजातीय इलाकों में प्रशासनिक व्यवस्था देना।
  • मणिपुर राज्य के पहाड़ी इलाकों में प्रशासनिक व्यवस्था देना।
  • सिक्किम राज्य की जनता के विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ शांति सुनिश्चित करना।
  • कर्नाटक के हैदराबाद क्षेत्र में अलग विकास बोर्ड की स्थापना करना।
  • और आशा प्रदेश राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना।

F.राज्यपाल से संबंधित अनुच्छेद(Articles) कितने हैं ?


153 : राज्यों के राज्यपाल।
154 ; राज्य की कार्यपालक शक्ति।
155 : राज्यपाल की नियुक्ति।
156 : राज्यपाल का कार्यकाल।
157 : राज्यपाल के नियुक्त होने के लिए अर्हता।
158 ; राज्यपाल कार्यालय के लिए दशाएं।
159 : राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण।
160 : आकास्मिक स्थितियों में राज्यपाल के कार्य।
161 ; राज्यपाल को क्षमादान आदि की शक्तियां।
162 : राज्यपाल के कार्यपालक शक्ति की सीमा।
163 ; मंत्रिपरिषद का राज्यपाल को सहयोग तथा सलाह।
164 : मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान जैसे नियुक्ति कार्यकाल और वेतन इत्यादि।
165 : राज्य का महाधिवक्ता ‌।
166; राज्य की सरकार द्वारा संचालित कार्यवाही।
167: राजपाल को सूचना देने इत्यादि का मुख्यमंत्री का दायित्व।
174; राज्य विधायिका का सत्र सत्रावसान तथा उसका भंग होना।
175; राज्यपाल का राज्य विधायिका के किसी अथवा दोनों सदन को संबोधित करने अथवा संदेश देने का अधिकार।
176 : राज्यपाल द्वारा विशेष संबोधन।
200 : विधेयक पर सहमति।
201 : राज्यपाल द्वारा विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना।
213 : राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
217 : राज्यपाल की उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति द्वारा सलाह लेना।
233 : राज्यपाल द्वारा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति।
234; राजपाल द्वारा न्यायिक सेवा के लिए नियुक्ति।

आशा है कि आपने पूरा ब्लॉक पढ़ लिया होगा और आपको बहुत अच्छे से पूरा राजव्यवस्था समझ में आ चुका होगा इसी तरह और भी अच्छे ब्लॉक को पढ़ने और अपनी समझ को विकसित करने के लिए हमारे इस वेबसाइट पर बने रहे और निरंतर अपडेट पाते रहें ।
धन्यवाद





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