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अर्थव्यवस्था(Economy)क्या है और अर्थव्यवस्था के प्रकार कितने हैं ?(What's economy and how many type of economy ?)

A.अर्थव्यवस्था(Economy) क्या है 


B.अर्थव्यवस्था के प्रकार कितने हैं ?


C.विभिन्न देशों का उनके अर्थव्यवस्थाओं के अनुसार वर्गीकरण क्या है?


D.उत्पादन(Production) के कितने कारक हैं?


E.उत्पादन के कितने क्षेत्र हैं ?


F.भारतीय अर्थव्यवस्था के विशेषताएं कौन सी है?

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस ब्लॉग में मिल जाएगा। सभी क्वेश्चन की जानकारी के लिए आपको इस ब्लॉग को पूरा पढ़ना होगा जिससे आपको अर्थव्यवस्था की बेहतर समझ हो सके जो आपको यूपीएससी और पीसीएस जैसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में सफलता प्रदान कर सके।

A.अर्थव्यवस्था क्या है ?

अर्थव्यवस्था किसी राष्ट्र एवं क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतिमान चित्र होता है।
"किसी राष्ट्र द्वारा अपने नागरिकों के लिए आर्थिक सामाजिक स्थितियों को सुधारने के लिए उपलब्ध संसाधनों का व्यवस्थित नियोजन करते हुए अर्थ को केंद्र में रखकर बनाई गई व्यवस्था ही अर्थव्यवस्था कहलाती है"
किसी अर्थव्यवस्था का सीधा तात्पर्य होता है उस समय उस अर्थव्यवस्था की सभी आर्थिक गतिविधियों का वर्णन। जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का तात्पर्य होगा - वर्तमान समय में भारत की सभी आर्थिक गतिविधियों का वर्णन।

B.अर्थव्यवस्था के प्रकार कितने हैं ?

अर्थव्यवस्था की प्रकार पर विवादों का शुरुआत एडम स्मिथ की पुस्तक दा वेल्थ ऑफ नेशन 1776 से मानी जाती है। विश्व में अर्थव्यवस्था के मूलता तीन प्रकार अस्तित्व में है।
1.पूंजीवादी अर्थव्यवस्था 
2.समाजवादी अर्थव्यवस्था 
3.मिश्रित अर्थव्यवस्था

1.पूंजीवादी अर्थव्यवस्था 

हस्तक्षेप की नीति अपनाई जाती है।
प्रतियोगिता पर अधिक बल होता है।
मांग व आपूर्ति के नियम पर आधारित होता है।
बाजार की शक्तियां केंद्र में होती हैं।
श्रम विभाजन व विनिमय होता है।

2.समाजवादी अर्थव्यवस्था 

समाजवादी प्रकृति का होता है।
बाजार की शक्तियां,मांग-आपूर्ति और प्रतियोगिता जैसे तत्व उपस्थित नहीं होते हैं।
योग्यता और आवश्यकता के अनुसार वितरण होता है।
सरकार अंतिम निर्णायक की भूमिका निभाता है।
निजी स्वामित्व की धारणा उपस्थित नहीं होती है।

3.मिश्रित अर्थव्यवस्था

  • राज्य और निजी दोनों उपस्थित होते हैं
  • गैर बाजार और बाजार दोनों घटक एक साथ होते हैं।
  • कल्याणकारी अर्थव्यवस्था होती है।
  • प्रशासित मूल्य पद्धति उपस्थित होता है।


C. विभिन्न देशों का उनके अर्थव्यवस्था के अनुसार वर्गीकरण क्या है?

1.विकसित अर्थव्यवस्था :- 

यह अर्थव्यवस्था ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें बाजार कीमत प्रणाली द्वारा अर्थव्यवस्था संचालित होती है जैसे अमेरिका,कनाडा ,ऑस्ट्रेलिया आदि।

2.संक्रमणशील अर्थव्यवस्था :- 

इस अर्थव्यवस्था में ऐसे देश आते हैं जो धीरे-धीरे खुले बाजार की नीति अपना रही हैं जैसे सोवियत संघ,वर्तमान चीन आदि।

3.मिश्रित अर्थव्यवस्था :-

इस अर्थव्यवस्था में ऐसे देश शामिल हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजाद हुई है है और अल्पविकसित हैं जैसे भारत,पाकिस्तान,श्रीलंका,नेपाल आदि

4.अति निर्धन अर्थव्यवस्था:-

इस अर्थव्यवस्था में ऐसे देश आते हैं जो अभी प्रगति के पथ पर यात्रा शुरू भी नहीं की है जैसे  युगांडा,सूडान,रवांडा आदि।

D.उत्पादन के कौन कौन से कारक हैं ?

उत्पादन के कारक का तात्पर्य ऐसे तत्वों से है जिनके साथ मे मिलने पर उत्पादन अर्थात मूल्य वृद्धि का कार्य पूरा होता है ऐसे तत्व चार माने जाते हैं।
1.श्रम 
2.भूमि 
3.पूंजी 
4.उद्यमशीलता

1. श्रम

मानवीय बुद्धि या शरीर में निहित कार्य क्षमता द्वारा किया गया प्रयास श्रम कहलाता है।

2. भूमि

नैसर्गिक एवं प्राकृतिक संसाधनों में विद्वान कार्य क्षमता को भूमि कहते हैं

3. पूंजी

मानव निर्मित संसाधनों में निहित कार्य क्षमता को पूंजी कहते हैं यह तीन प्रकार से मान्य है।

भौतिक पूंजी

महल,सड़क ,भवन , पुल, वाहन ,मशीन इत्यादि।

वित्तीय पूंजी : 

मुद्रा को वित्तीय पहुंची कहते हैं जैसे आभूषण ,धनराशि ,चल व अचल संपत्ति।

बौद्धिक पूंजी :

 वैज्ञानिक विचारधारा, कलात्मक विचारधारा ,साहित्य विचारधारा, धार्मिक विचारधारा, आविष्कार इत्यादि भौतिक पूंजी है। 
भौतिक पूंजी के स्वामित्व के भी तीन रूप माने जाते हैं
  • कॉपीराइट: पुस्तकों लेखकों आदि के स्वामित्व को कॉपीराइट कहते हैं
  • पेटेंट : अविष्कार या प्रौद्योगिकी के स्वामित्व को पेटेंट कहते हैं
  • ट्रेडमार्क : व्यवसायिक या व्यापारिक चेन्नई के स्वामित्व को ट्रेडमार्क कहते हैं

4. उद्यमशीलता

व्यक्तियों के समूह अथवा किसी एक व्यक्ति में निहित वह क्षमता जिसके आधार पर वह अन्य सहयोगी कारकों को संगठित करके किसी निश्चित दिशा में अग्रसर होता है उसमें विद्वान जोखिम को सहता है उद्यमशीलता कहलाता है।

E. उत्पादन के कितने क्षेत्र हैं ?

उत्पादन के मुख्यता 3 क्षेत्र निर्धारित है।
1.प्राथमिक क्षेत्र 
2.द्वितीयक क्षेत्र 
3.तृतीयक क्षेत

1.प्राथमिक क्षेत्र 

प्राकृतिक संसाधनों से प्रत्यक्ष रूप से जिन जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए उन्हें प्राथमिक वस्तु कहते हैं तथा ऐसे वस्त्र के उत्पादन में संलग्न संस्थागत संरचना को प्राथमिक क्षेत्र कहते हैं।
जैसे- कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, वानिकी, मत्स्य पालन, खनन एवं उत्खनन इत्यादि।

2.द्वितीयक क्षेत्र 

प्राथमिक क्षेत्र की वस्तुओं में परिवर्तन द्वारा उत्पादित किया गए वस्तु को द्वितीयक वस्तु कहते हैं तथा ऐसे वस्तु के उत्पादन में संलग्न संस्थागत संरचना को द्वितीयक क्षेत्र कहते हैं
जैसे - विनिर्माण,निर्माण,जल विद्युत एवं गैस आपूर्ति ।

3.तृतीयक क्षेत्र

अदृश्य सेवाओं को तृतीयक वस्तु कहते हैं तथा ऐसी सेवाओं के उत्पादन में संलग्न संस्थागत संरचना को तृतीयक क्षेत्र कहते हैं
जैसे - होटल,व्यापार ,रेस्टोरेंट,परिवहन, संचार एवं भंडारण,बैंकिंग एवं बीमा, वास्तविक संपदा तथा वाणिज्य वासियों एवं सेवाओं का स्वामित्व ,लोक प्रशासन एवं प्रतिरक्षा अन्य सेवाएं।

F. भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं क्या है ?

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।
1.अल्प विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में।
2.विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में।

1.अल्प विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में:

  • आय का असमान वितरण होना।
  • राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर ।
  • बेरोजगारी ।
  • व्यापक गरीबी।
  • कृषि की प्रधानता।
  • जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि।
  • पूंजी की कमी।
  • उद्यमशीलता की भावना में कमी।
  • मानव विकास का निम्न स्तर।
  • तकनीकी का पिछड़ापन आदि।

2.विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में:

  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि।
  • सकल घरेलू उत्पाद में सकारात्मक परिवर्तन।
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय में वृद्धि।
  • रोजगार संरचना धीरे-धीरे परिवर्तित।
  • बैंकिंग आदि वित्तीय संस्थाओं का विकास।
  • आधारभूत उद्योग का विकास।

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