GEOGRAPHY
आपको इस ब्लॉग में इन प्रश्नों के विस्तार जानकारी प्राप्त हो जाएगा पूरा ब्लॉग पढ़ें । जिससे कि आपको इससे एक भी प्रश्न यूपीएससी और पीसीएस एग्जाम में ना जाने पाऐ और आप सफलता को पूर्णत हासिल कर पाए।
A.पृथ्वी के कितने मंडल (Sphere) हैं और कौन-कौन हैं ?
पृथ्वी के धरातल पर चार प्रकार के मंडल पाए जाते हैं। वास्तव में यह चारों मंडल एक दूसरे पर आधारित होते हैं और एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं यह मंडल कुछ इस प्रकार है।
1.वायुमंडल (Atmosphere)
2.जलमंडल (Hydrosphere)
3.स्थलमंडल (Lithosphere)
4.जीवमंडल (Biosphere)
1.वायुमंडल
पृथ्वी के चारों ओर गैसीये रूप में उपस्थित आवरण को ही वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल में पाई जाने वाली विभिन्न गैसों की उत्पत्ति पृथ्वी के आंतरिक भाग से ही हुई है। वायुमंडल के निचले भाग में नाइट्रोजन ऑक्सीजन आर्गन कार्बन डाइऑक्साइड तथा वाष्प का एक ऐस मिश्रण है जिससे जीवन संभव है।
2.जलमंडल
पृथ्वी पर जल ,ठोस तरल तथा वाष्प के रूप में पाया जाता है। पृथ्वी के धरातल पर पाए जाने वाला जल दो प्रकार के होते हैं हमारे सौरमंडल में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर पानी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
3.स्थलमंडल
पृथ्वी के ऊपरी पटल को स्थलमंडल कहते हैं। हमारा भूपटल पृथ्वी के आंतरिक भागों की तुलना में काफी भंजक सेल है तथा इस पर विभिन्न प्रकार की भू आकृतियों पाई जाती है।
4.जीवमंडल
पृथ्वी पर वायुमंडल जलमंडल तथा स्थलमंडल के मिलाप से जीवमंडल बनता है जिसे पारिस्थितिकी मंडल भी कहते हैं। सागर स्तर से लगभग 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक जीवमंडल पाया जाता है जीवमंडल का सभी मंडल के ऊपर भी काफी प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर लगभग अरब से अधिक मानव जनसंख्या 10 लाख से अधिक जीव जंतुओं की प्रजाति तथा 3,55000 वृक्षों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
B.भू-आकृति विज्ञान क्या है?
भू आकृति विज्ञान में भू आकृतियों की उत्पत्ति उनका वर्गीकरण तथा उनके प्रादेशिक वितरण का अध्ययन किया जाता है भू आकृति विज्ञान शब्द का सबसे पहले प्रयोग जे डब्ल्यू पोवल तथा डब्ल्यू जे मकगी ने किया था
"साधारण शब्दों में छोटे से मध्यम आकार के भूखंड को भू आकृति कहते हैं।" और बहुत से संबंधित भू आकृतियां आपस में मिलकर भू दृश्य बनाती हैं जो भूतल के विस्तृत भाग हैं।
भू आकृति विज्ञान का मुख्य उद्देश्य भू आकृतियों के परीक्षण के आधार पर भूपटल का इतिहास एकत्रित करना है। वर्तमान समय के भू आकृति विज्ञान के विशेषज्ञों ने अपक्षय और अपरदन की प्रक्रिया का भी अध्ययन इसके अंतर्गत ही करते हैं।
C.पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Internal Structures) कैसी है। भूकंप की लहरों से अध्ययन करें ?
पृथ्वी की आंतरिक संरचना एक भारी विवाद का विषय रहा है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संदर्भ में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है इसी कारण बहुत समय तक तापमान दाब तथा पृथ्वी के घनत्व के आधार पर आंतरिक संरचना जाने का प्रयास किया जाता रहा।
किंतु पृथ्वी के विभिन्न परतों में भूकंप की लहरों के व्यवहार से पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में विश्वासनीता तथा सटीक ज्ञान प्राप्त हुआ है। साधारण भाषा में भूकंप का अर्थ होता है- पृथ्वी का कंपन
किसी भूकंप के आने से भूकंप के फोकस से विभिन्न प्रकार की लहरें उत्पन्न होती हैं इन लहरों को तीन भागों में बांटा जा सकता है जो निम्न प्रकार है।
1.प्राथमिक लहरे
2.द्वितीयक लहरे
3.ऊपरी परत की लहरें
1.प्राथमिक लहरे (p Waves)
प्राथमिक लहरें तीव्र गति से चलने वाली लहरें हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुंचती हैं इन्हें P- लहरें भी कहते हैं। तथा इन्हें अनुदैर्ध्य लहरें अथवा संपीड़ित लहरें भी कहते हैं। यह लहरें ध्वनि के समान होती हैं जो गैस तरल ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से गुजर सकती हैं
2.द्वितीयक लहरे (S Waves)
यह तरंगे धरातल पर कुछ समय अंतराल के बाद पहुंचती हैं। इन्हें S लहरें कहते हैं। यस लहरें केवल ठोस पदार्थों में ही विचरण करती है। और इन तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग भी कहते हैं। इन लहरों की तुलना प्रकाशन की लहर से की जाती है। यह लहर पृथ्वी के मध्य से भी गुजर नहीं पाती है।
3.ऊपरी परत की लहरें (Upper body )
इन तरंगों को लंबी तरंगे भी कहते हैं यह कम आवृत वाली दीर्घ तरंग दर्द की मानी जाती हैं और यह अधिकेंद्र के निकट विकसित होती हैं। गति धीमी होने के कारण इन तरंगों को भूकंप मापक *सिस्मोग्राफ* पर सबसे अंत में रिकॉर्ड किया जाता है पृथ्वी के धरातल पर अधिकतर जान व माल का नुकसान इन्हीं लहरों के द्वारा होता है यह बहुत विनाशकारी हो सकती हैं।
भूकंप की लहरों के पृथ्वी के अंदरूनी भाग में व्यवहार से पता चलता है कि पृथ्वी के निम्नलिखित परते हैं।
1.आंतरिक ठोस भाग
2.बाह्य तरल कोर
3.मेंटल
4.ठोस भूपटल
यदि पृथ्वी की आंतरिक संरचना एक समान होती तो भूकंप लहरें इसमें समान गति से चलती परंतु इन लहरों में असमानता देखी गई जिससे यह पता चलता है कि कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना भिन्न-भिन्न है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना में छाया क्षेत्र अभी उपस्थित होता है जिससे द्वितीयक लहरी पार नहीं कर पाती है। और इन परतो का घनत्व अलग अलग है जिससे भूकंप की लहरें वक्राकार चलती हैं।
D.भूकंपीय असंबद्धता (Discontinuity) क्या है ?
पृथ्वी के आंतरिक भाग में दो असंबद्धताए पाई जाती हैं। पहले असंबद्धता भूपटल तथा मेंटल को एक दूसरे से अलग करती है। इस सीमा को मोहो असंबद्धता(Moho Discontinuity) कहते हैं। दूसरी सीमा मेंटल तथा कोर को अलग करती है इस सीमा को गुटेनबर्ग असंबद्धता (Guttenberg discontinuity) कहते हैं। यह असंबद्धता पृथ्वी में 2900 किलोमीटर की गहराई पर है।
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