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राष्ट्रीय आयोग (National commission) क्या है?

राष्ट्रीय आयोग (National commission) क्या है?


राष्ट्रीय आयोग की स्थापना वर्ष 2000 में संविधान की कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिए हुई थी। भारत सरकार ने एक प्रस्ताव के द्वारा इसे लाया था। पूर्व भूत मुख्य न्यायाधीश एम एन वेंकटचैलया सहित 11 सदस्य यह आयोग थी। इसे अपनी रिपोर्ट 2002 में सैपने थे।

राष्ट्रीय आयोग का कार्य:-

राष्ट्रीय आयोग को इस बात की समीक्षा करनी थी कि प्रभावी ,कार्य कुशल प्रशासन एवं आधुनिक भारत के सामाजिक ,आर्थिक विकास के संबंध में भारतीय संविधान के वर्तमान उपबंध कहां तक सफल रहे पिछले 50 वर्षों में।
यदि इन उप बंधुओं में किसी प्रकार की सुधार की आवश्यकता है तो इसे किस प्रकार की जाए या अभी सलाह देगी किंतु इस प्रकार कार्य करेगा या ऐसी सिफारिशें ही देगा , जिनसे संसदीय लोकतंत्र का ढांचा या संविधान की मूलभूत विशेषताओं में किसी प्रकार का अंतर न आये ।और यह सलाह बाध्यकारी नहीं होगा।
जिसका उसे अध्ययन और समीक्षा करनी थी। इसमें निम्नलिखित शामिल थे:
1. संसदीय लोकतंत्र की संस्थाओं को सुदृढ़ बनाना।
2. चुनावी सुधार; राजनीतिक जीवन का मानकीकरण।
3. संविधान के तहत सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और विकास की गति।
4. साक्षरता को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर पैदा करना,सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना, गरीबी उन्मूलन।
5. केंद्र-राज्य संबंध।
6. विकेंद्रीकृत और  पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त और सशक्त बनाना।
7. मौलिक अधिकारों का विस्तार
8. मौलिक कर्तव्यों का प्रभावी क्रियान्वयन।
9. नीति - निर्देशक सिद्धांतों का प्रभावी कार्यान्वयन और संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना।
10. राजकोषीय राजकोषीय नीति पर विधायी नियंत्रण,लोक लेखा संचालन।
11. प्रशासनिक तंत्र और लोक जीवन में मानकीकरण।

आजादी के 50 साल बाद हमारी क्या उपलब्धियां और असफलताएं :-


राजनीतिक उपलब्धियां(Political achievement):-
1. संघीय राजनीति के आधार पर काम कर रहे भारत का लोकतांत्रिक आधार स्थिर है। 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों द्वारा लोकतांत्रिक आधार का और विस्तार किया गया। विकेंद्रीकरण की दिशा में प्रयास किए गए हैं। आम चुनाव समय पर होते हैं; और चुनाव के आधार पर शक्तियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चल रही है।
2. संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की शैक्षिक योग्यता में काफी सुधार हुआ है। संसद और राज्य विधानमंडल समाज के गठन की दिशा में अधिक प्रतिनिधि बन गए हैं। पिछड़े वर्ग के नेताओं ने राजनीतिक क्षेत्र में नई उपलब्धियां और नए आयाम बनाए हैं।

राजनीतिक असफलताएं(political failures):-
1.देश में राजनीतिक गिरावट का मुख्य कारण चुनावी प्रक्रिया की दोषीता है, जिसका अभाव है कि यह अभी भी अपराधियों, असामाजिक तत्वों और अवांछित लोगों को चुनाव में भाग लेने से रोकने में विफल है।
2.सार्वजनिक मामलों और नीतिगत फैसलों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी। आज भी इन प्रक्रियाओं में स्त्री-पुरुष अनुपात में भारी असमानता है।
3.राजनीतिक वातावरण का अपराधीकरण हुआ है। देश में अपराधी - नेता - नौकरशाह गठजोड़ तेजी से बढ़ रहा है ।
4.देश के सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दल ' समान राष्ट्रीय उद्देश्यों ' के संबंध में भी एकमत नहीं हैं । राजनीतिक दलों का एकमात्र उद्देश्य सत्ता प्राप्ति रह गया है
5.चुनाव कराने में अधिक खर्च और भ्रष्टाचार, राष्ट्र के विकास में एक बड़ी बाधा।
6.आज देश के लोग आजादी के समय की तुलना में अधिक विभाजित दिखाई देते हैं।


सामाजिक उपलब्धियां(social achievements):-
1.आज देश के लगभग 95 प्रतिशत गांवों में एक किलोमीटर की परिधि के भीतर प्राथमिक पाठशालाओं की स्थापना की जा चुकी है ।
2.आज केरल में जन्म लेने वाला एक बच्चा ,वाशिंगटन जन्म लेने वाले एक बच्चे से ज्यादा लंबे समय तक जीवित रहने की सामर्थ्य रखता है ।
3. 1951 में , जहां देश में मात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे , 1995 के अंत तक इनकी अधिक हो चुकी थी ।
4.1950 से वर्ष 2000 तक जीवन प्रत्याशा 32 से बढ़कर वर्ष हो गयी ।
5.1950 से 1998 के बीच शिशु मृत्यु दर 146 प्रति हजार घटकर 72 प्रति हजार रह गयी ।


समाजिक असफलताएं(social failures):-
1.भारत में जन्म के समय औसत भार से कम भार वाले बच्चों की संख्या 33 प्रतिशत है । चीन में यह मात्र 9 प्रतिशत , दक्षिण कोरिया में 6 प्रतिशत तथा थाइलैंड एवं इंडोनेशिया में 8 प्रतिशत है ।
2. देश में 270 मिलियन अनुसूचित जाति(scheduled caste) एवं अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है । उनके उत्थान एवं विकास संबंधी कार्यक्रमों को गंभीरतापूर्वक लागू नहीं किया गया है ।
3.उत्तरी राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी उपाय सफल नहीं रहे हैं ।
4.5 वर्ष से कम आयु के 53 प्रतिशत (about 60 million) बच्चे कुपोषण का शिकार हैं । अफ्रीकी देशों से भी दोगुना अधिक है ।
5.12-13 महीने की आयु के मात्र 43 प्रतिशत बच्चे ही पूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम से लाभांवित होते हैं । इनमें से शहरी क्षेत्रों के बच्चों का प्रतिशत 61 एवं ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का प्रतिशत मात्र 37 है ।भारत ने 1978 में अल्माटा घोषणा पत्र(Almaty Declaration) पर हस्ताक्षर किये थे । जिसमें वर्ष 2000 तक सभी के लिये स्वास्थ्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया था
6.देश में 14 वर्ष से कम आयु के लगभग 100 मिलियन दलित बच्चे हैं इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के कोई प्रयास नहीं किये.
7.पिछले 50 वर्षो में प्रति व्यक्ति दैनिक दालों (pulses)के उपभोग में काफी गिरावट आयी है । प्रति व्यक्ति दैनिक खाद्यान्न(food grains) उपभोग 1950 में 400 ग्राम से थोड़ा बढ़कर 2000 में 440 ग्राम हो गया है । आर्थिक उपलब्धियां(economic achievements):-
आर्थिक असफलताएं(financial failures):-
प्रशासनिक असफलताएं(Administrative failures.):-
न्याय प्रणाली की असफलताएं(failures of the justice system):-
लैंगिक समानता एवं न्याय की असफलताएं(Failures of gender equality and justice.):-





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