हड़प्पा सभ्यता की विशेषतायें के बारे में
(Characteristics of Harappan Civilization of ancient history in hindi)
- हड़प्पा सभ्यता की पहली पहचान है थी इसका नगरीय स्वरूप।
- फिर समकालीन नगरीय सभ्यताओं में इसे विशिष्ट बनाती है इसकी उन्नत नगर निर्माण योजना | अगर हम हड़प्पाई नगरों पर दृष्टिपात करते हैं तो हमें इसकी विशेषता स्पष्ट जाती है।
- अगर गौर से देखा जाय तो प्रमुख नगरों के निर्माण में एकरूपता है यद्यपि पूरी एकरूपता की परिकल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि विभिन्न नगरों को भिन्न भौगोलिक तथा पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
- सामान्यतः नगर दो भागों में विभाजित है : दुर्ग क्षेत्र तथा निचला शहर दुर्ग क्षेत्र में शासक वर्ग के लोग निवास करते थे तथा वहाँ कुछ महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण हुआ था, वहीं निचला नगर एक रिहायसी इलाका था। नगर चेसवोर्ड के आकार में बना हुआ था। मुख्य सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
- सड़कों के किनारे मकान निर्मित थे जो एक मंजिली से लेकर बहुमंजिली तक होते थे। हड़प्पा सभ्यता की नगर निर्माण योजना में हमें एक महत्वपूर्ण तत्व आकर्षित करता है वह है उन्नत जल प्रबंधन जो यूनान में कनोसस को छोड़कर अन्य समकालीन सभ्यता में दुर्लभ था। प्रत्येक घर में एक कुँआ होता था फिर उपरी मंजिल से नीचे गंदे पानी की निकासी के लिए ड्रेन पाइप का प्रयोग होता था।
- प्रत्येक घर से जल निकासी का बेहतर प्रबंध था। घर की नाली गली की नाली से जुड़ी हुई थी और फिर गली की नाली मुख्य सड़क की नाली से जुड़ गई थी। मुख्य नाली की सफाई के लिए नरमोखे (मैनहोल) भी बनाये जाते थे।
- हड़प्पा सभ्यता का नगरीकरण विकसित वाणिज्य-व्यापार पर आधारित था । यद्यपि इस सभ्यता से पूर्व भी व्यापारिक गतिविधियां अज्ञात नही थी। अगर गौर से देखा जाय तो नवपाषाणकालीन स्थलों से भी वस्तुओं के लेन देन के प्रमाण मिलते है। फिर, आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत भी बलूचिस्तान के क्षेत्र का स्थल मार्ग के माध्यम से
- अफगानिस्तान एवम् मध्य एशिया के क्षेत्रों से व्यापारिक सम्पर्क होने का प्रमाण मिलता है।
- फिर भी हड़प्पा सभ्यता की विलक्षणता थी व्यापारिक गतिविधियों में गुणात्मक वृद्धि। यह सभ्यता एक विस्तृत व्यापारिक जाल से जुड़ी हुई थी। यह सामुद्रिक मार्ग से फारस की खाड़ी तथा पश्चिम एशिया से भी जुड़ गई।
- इस प्रकार बाह्य व्यापार में इसके सहयोगी क्षेत्र थे फारस की खाड़ी में फैलका एवं बहरीन, पश्चिम एशिया में मेसोपोटामिया, अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया के क्षेत्र उसी प्रकार आंतरिक व्यापार में हड़प्पाई स्थल राजस्थान, कर्नाटक एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए थे।
- हड़प्पा सभ्यता के विकास में व्यापार की कितनी अहम भमिका थी इस बात का अंदाजा इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि कुछ ऐसे क्षेत्र में भी नगरों का निर्माण हुआ जो कृषि की दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा हुआ था। उदाहरण के लिए बलूचिस्तान में सुत्कागेनडोर एवं सुत्काकोह। इतना ही नहीं आगे जब वाणिज्य-व्यापार में किसी कारण से व्यवधान उत्पन्न हो गया तो फिर नगरीय संरचना का पतन हो गया।
- हड़प्पा सभ्यता की एक विलक्षणता थी नगर एवम् गाँवों के बीच उचित तालमेल तथा संतुलन नगरों का अस्तित्व ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले अधिशेष पर टिका हुआ था।
- नगरीय जनसंख्या की आवश्यकता कृषि उत्पादों के माध्यम से (अनाज एवं कच्चेमाल) पूरी होती थी। शासक वर्ग के द्वारा संभवतः करारोपण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में अधिशेष का हस्तांतरण होता था।
- फिर हड़प्पा सभ्यता की उन्नत नगर निर्माण योजना एक सक्षम शासक वर्ग की उपस्थिति को भी दर्शाती है। सड़कों तथा गलियों की बनावट, जल प्रबंधन, मानक माप-तौल एवं ईंटों का निर्माण यह सिद्ध करती है कि वहाँ एक सक्षम शासन व्यवस्था स्थापित थी।
- किन्तु यह आज भी विवाद का विषय था कि हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत सरकार का क्या स्वरूप था ? यह एक साम्राज्य था अथवा कई छोटे-छोटे राज्यों का समूह ? जब तक हड़प्पाई लिपि नहीं पढ़ी जाती तब तक इस पर अंतिम रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है।
- फिर भी इस संबंध में कई प्रकार की संभावनायें उभरती है उदाहरण के लिए संभव है यह एक वृहद साम्राज्य था जो सैन्य विजय के माध्यम से संभव हुआ अथवा दूसरी तरफ ऐसा भी संभव है यह कई राज्यों का समूह था जो भौतिक विकास के एक ही स्तर पर अवस्थित थे जैसा कि हम महाजनपद काल में 16 महाजनपदों को देखते है उसी तरह दुर्ग क्षेत्र की उपस्थिति राजतंत्र की उपस्थिति की ओर संकेत करती है। किंतु साथ ही हम प्रशासन में शिल्पियों एवं व्यापारियों की भूमिका को अस्वीकार नहीं कर सकते।
- हड़प्पा सभ्यता की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी तकनीकी विकास एंव शिल्पों की विविधता यह किसी भी नगरीय सभ्यता का आवश्यक लक्षण होता है। हड़प्पाई लोग इस रूप में भी विशिष्ट थे कि उन्होंने तांबे और टिन को मिलाकर कांसे का निर्माण करना सीख लिया था अर्थात् उन्हें धातु ढलाई का भी ज्ञान था। वे कांस्य मूर्तियों के निर्माण में द्रवी मोम विधि का प्रयोग करते थे।
- रथ एवं इक्का गाड़ी का निर्माण भी हड़प्पाई लोगों के तकनीकी ज्ञान को दर्शाता है। उनके पत्थर के उपकरण भी पहले के उपकरणों की तुलना में अधिक बेहतर है क्योंकि अब ताँबे एवं काँसे के उपकरणों की सहायता से पत्थरों को काटना एवं तरासना अपेक्षाकृत आसान हो गया था।
- मनका निर्माण मुहर निर्माण तथा हाथी दाँत एवं सीप के कार्यों में भी हड़प्पाई शिल्पी सिद्धहस्त थे। लोथल तथा चान्हुदड़ो से मनका बनाने का कारखाना मिला है।
- हड़प्पा सभ्यता को अपनी पूर्ववर्ती एवं परवर्ती संस्कृति से विशिष्ट बनाने वाला एक कारक उनका वैज्ञानिक एवं नक्षत्रों का ज्ञान था। हड़प्पाई लोग धातु ढ़लाई से परिचित थे उन्हें संभवतः ग्रहों एवं नक्षत्रों का ज्ञान था। उन्होंने गणना प्रणाली का विकास कर लिया था। वे 16 एवं उसके गुणक का प्रयोग करना जानते थे।
- उसी प्रकार गणना में ऊपरी स्तर पर दशमलव प्रणाली तथा निचले स्तर पर द्विभाजन प्रणाली का प्रयोग करते थे। वे संभवत: फीट एवं क्यूबिक के प्रयोग से भी परिचित थे। उनकी नगर निर्माण योजना ज्यामिती के ज्ञान को दर्शाती है। ईंटों के निर्माण से भी ज्यामिती के ज्ञान की सूचना मिलती है।
- उसी प्रकार उन्होंने अपनी एक पृथक लिपि का विकास कर लिया था। सिंधु लिपि विश्व की चार प्राचीनतम लिपियों में एक थी।
- सिंधु सभ्यता की एक विशेषता मानी जा सकती है इसकी सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता और फिर यह विविधता नगरीय जीवन के अनुकूल थी उदाहरण के लिए हड़प्पाई नगरों में भिन्न सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग मौजूद थे यही वजह है कि मृतक संस्कार पद्धति उपासना पद्धति तथा देवताओं के स्वरूप में भी विविधता देखी जा सकती थी।
- दूसरे शब्दों में, मृतक संस्कार के रूप में पूर्ण समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण तथा दाह संस्कार सबों का प्रचलन था। उसी प्रकार कहीं अग्नि पूजा का प्रचलन था तो कहीं जल पूजा का कहीं से नाग पूजा का साक्ष्य मिलता है तो कही और से स्वास्तिक पूजा का ।
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