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आन्ध्र महासागर (अटलांटिक महासागर) की धाराएँ कौन सी है Currents of the Andhra Ocean (Atlantic Ocean)-

आन्ध्र महासागर (अटलांटिक महासागर) की धाराएँ-

धाराएँ महासागरीय जल में उत्पन्न होने वाली वे शक्तिशाली गतियाँ हैं ,जो एक निश्चित दिशा एवं एक निश्चित क्षेत्र में लगातार नदी की धारा के समान प्रवाहित होती रहती है । मोन्कहाउस के अनुसार- " धारा में जलराशि का संचलन एक निश्चित दिशा में होता है । " धाराएँ सामान्यत : 2 से 10 किमी प्रतिघण्टा की रफ्तार से चलती है । इनका महत्व भारी मात्रा में विशाल जलराशि को हजारों किमी . दूर तक बहाने के लिए है । तापक्रम के अनुसार धाराएँ दो प्रकार की होती है- 
( 1 ) उष्ण तथा 
( 2 ) ठण्डी धारा 
इनकी गति ,आकार तथा दिशा में पर्याप्त अन्तर होता है । 
अटलांटिक महासागर में निम्नलिखित धाराओं का प्रवाह पाया जाता है

 1. उत्तरी विषुवत् रेखीय धारा-

यह धारा अफ्रीका के पश्चिमी तट से प्रारम्भ होकर व्यापारिक हवाओं के प्रवाह के साथ पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर अग्रसर होकर दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट तक जाती है । जहाँ पूर्वीतट के अवरोध के कारण इसकी दो शाखाएँ हो जाती हैं , जिन्हें एण्टीलीज धारा तथा कैरीबियन धारा के नाम से जाना जाता है । कैरीबियन धारा ही मुख्य धारा का जल लेकर यूकाटन चैनल तक चली जाती है , जबकि एण्टीलीज धारा पश्चिमी द्वीप समूह के पूर्व में प्रवाहित होती है । यह 0 ° से 10 ° उत्तरी अक्षांशों तक विकसित रहती है । यह एक गर्म जल धारा है । 

2. दक्षिणी विषुवत् रेखीय धारा

यह धारा 0 ° से 20 ° दक्षिणी अक्षांशों तक विकसित मिलती है । यह अफ्रीका के पश्चिमी तट से प्रारम्भ होकर व्यापारिक पवनों के साथ दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील तट तक चलती है । जहाँ यह दो शाखाओं में बँट जाती है । एक शाखा उत्तर में केरीबियन धारा से मिल जाती है तथा दूसरी शाखा दक्षिण की ओर मुड़कर ब्राजील धारा को जन्म देती है । यह एक गर्म जलधारा है । 

3. प्रति विषुवत् रेखीय धारा- 

यह धारा पृथ्वी की परिभ्रमण गति के साथ पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर चलती है । यह दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट से भूमध्य रेखा के सहारे अफ्रीका के पश्चिमी तट तक पहुँच जाती है । यह भी गर्म जलधारा है । यही धारा दक्षिणी पश्चिमी मानसून को जन्म देती है । 

4. गल्फ स्ट्रीम

यह गर्म जलधारा मैक्सिको की खाड़ी से ग्राण्ड बैक तक 50 ° उत्तरी अक्षांशों तक विस्तृत मिलती है । यह फ्लोरिडा जलडमरूमध्य से हेटरस अन्तरीप होती हुई उत्तरी अमेरिका के तट के सहारे ग्राण्ड बैक तक चली जाती है । इस धारा की खोज सर्वप्रथम पॉस डी लिओन द्वारा सन् 1513 में की गयी थी । इस धारा के दाहिनी ओर सारगैसो सागर तथा बार्थी ओर ठण्डी दीवाल या ठण्डी जल राशि मिलती है । यह उत्तरी विषुवत् रेखा के ही आगे का भाग होती है । 40 ° उत्तरी अक्षांशों पर लेब्राडोर की ठण्डी धारा का जल इससे आकर मिल जाता है । 

5. उत्तरी अटलांटिक प्रवाह-

यह गर्म धारा 40 ° उत्तरी अक्षांशों पर उत्तरी पछुवा हवाओं का प्रभाव जब गल्फ स्ट्रीम पर पड़ता है , तो यह अचानक पश्चिम की ओर मुड़ जाती है । ग्राण्ड बैक से उत्तरी पश्चिमी यूरोप तक पहुँचने वाली इस जल राशि को उत्तरी अटलांटिक प्रवाह कहते हैं ।

 6. कनारी की धारा- 

यह एक ठण्डी धारा है , जो उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी तट से कनारी द्वीप को पार कर केपवर्ड तक चली जाती है तथा अन्त में उत्तर विषुवत् रेखीय धारा में मिल जाती है । यह धारा व्यापारिक हवाओं के द्वारा उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी तट पर जल के हटाये जाने के कारण उस रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए सागर का आन्तरिक ठण्डा जल लेकर प्रकट होती है। 

7. लेब्राडोर की धारा

यह ठण्डी जलधारा बैफिन की खाड़ी और डेविस जलडमरूमध्य से प्रारम्भ होकर न्यूफाउण्डलैण्ड तट के सहारे 40 ° उत्तरी अक्षांश तथा 50 पश्चिमी देशान्तर के पूर्व में गल्फ स्ट्रीम की गर्म जलधारा से मिल जाती है । इसी स्थान को ग्राण्ड बैक कहते हैं । यहाँ गर्म तथा ठण्डी जलधाराओं के मिलने पर घना कोहरा पड़ता है तथा लेब्राडोर धारा के साथ आये प्लॅक्टन जीवों की प्रचुरता के कारण बहुत मछलियाँ विकसित हो जाती है । अत : यह मछली पकड़ने का प्रमुख केन्द्र बन जाता है , परन्तु कोहरा होने के कारण जलयानों को अपार क्षति उठानी पड़ती है ।

 8. ब्राजील की धारा- 

यह एक गर्म धारा है , जो 20 ° दक्षिणी अक्षांशों पर दक्षिणी विषुवत् रेखीय धारा के ब्राजील तट से टकराने से उत्पन्न होती है । यहाँ से यह जलधारा 40 " दक्षिणी अक्षांशों तक दक्षिणी अमेरिका के तट के सहारे चली जाती है । जहाँ से दक्षिणी पछुवा पवनों के प्रभाव में आ जाने के कारण पूर्व की ओर मुड़ जाती है । 

9. दक्षिण अटलांटिक प्रवाह-

40 ° दक्षिणी अक्षांशों से पछुवा पवनों के प्रवाह के कारण ब्राजील धारा दक्षिणी अटलांटिक प्रवाह को जन्म देती है । जो अबाध गति से प्रवाहित होकर अफ्रीका महाद्वीप के पश्चिमी तट तक चली जाती है । यह एक ठण्डी जलधारा है। 

10. बेंगुला की धारा

यह एक ठण्डी जलधारा है ,जो अफ्रीका के दक्षिणी भाग से पश्चिमी तट के सहारे उत्तर की ओर प्रवाहित होकर दक्षिणी विषुवत् रेखीय धारा में मिल जाती है। 

11. फाकलैण्ड की धारा-

अण्टार्कटिका सागर का ठण्डा जल अर्जेण्टीना तक चला जाता है,जिसे फाकलैण्ड की धारा के नाम से जाना जाता है। यह 30 ° दक्षिणी अक्षांशों तक पहुँचकर ब्राजील की धारा से मिल जाता है।

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