हड़प्पाई कला और वास्तुकला क्या है ?
लगभग 2500 BC में सिंधु नदी के तट पर एक संपन्न सभ्यता का उद्गम हुआ। जो धीरे-धीरे उत्तर पश्चिम और पश्चिम भारत में विशाल भाग को घेर लिया। जिसे हम हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में जानते हैं इस सभ्यता की विशेषता थी की सभ्यता के लोग कल्पना और कलात्मक संवेदनशील हुआ करते थे। इसका प्रमाण हमें उत्खनन स्थानों पर पाए गए अनेकों मूर्तियों, मोहर, मृदभांड और आभूषणों से भली-भांति मिलता है| सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे दो प्रमुख स्थल हुए हैं जिनके नाम हड़प्पा और मोहनजोदड़ो। इस सभ्यता के लोग अपने सड़कों, मकानों और जल निकासी व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया करते थे और इनकी जो नियोजन प्रणाली थी। वह शहरी प्रणाली थी। इन सभी प्रमाणों से हमें उनकी अभियांत्रिकी कौशल का प्रमाण निश्चित तौर पर प्राप्त होता है ।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल और उनकी पुरातात्विक अवशेष :-
- वर्तमान पाकिस्तान में हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान से विशाल चबूतरो वाले छह अन्नागारो की दो कतारे, लिंग और योनि के पाषाण प्रतीक, मातृ देवी की मूर्ति, लकड़ी की ओखली में गेहूं और जो, पासा, ताम्र तुला और दर्पण। इसके अतिरिक्त कांच की बनी हुई हिरण की के पीछे कुत्ते की मूर्ति और लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ पुरुष का धड़ खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ था ।
- वर्तमान पाकिस्तान में मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के तट पर स्थित है। यहां पर किले, वृहत स्नानागार, सवाधान, दाढ़ी वाले पुजारी की मूर्ति, नर्तकी की प्रसिद्ध कांस्य मूर्ति और पशुपति मोहर ।
- वर्तमान के गुजरात में धोलावीरा जहां पर विशाल पानी के कुंड विशेष जल दोहन प्रणाली, स्टेडियम, बांध और तटबंध, विज्ञापन पट्टिका के तरह 10 बड़े आकार के संकेत अक्षरों वाला अभिलेख । सबसे नवीनतम खोजा हुआ स्थान है ।
- वर्तमान के गुजरात में धोलावीरा जिसे सिंधु घाटी सभ्यता का मैनचेस्टर कहते थे । इस स्थल पर समुद्री व्यापार का महत्वपूर्ण स्थल, गुड़ीवाड़ा {यानी कि जहाज बनाने वाली जगह}, धान की भूसी, अग्नि बेदीकाय
- , चित्रित मृदभांड, आधुनिक शतरंज, घोड़े और जहाज की टेराकोटा आकृति, कोण मापने वाले यंत्र जैसे कि 45 ,डिग्री 90 डिग्री और 180 डिग्री |
- हरियाणा में राखीगढ़ी स्थल जिसे सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता है। अन्नागार ,कब्रिस्तान ,नालिया, टेराकोटा की ईंटे मिली है। इसे हड़प्पा सभ्यता के प्रांतीय राजधानी कहते हैं।
- रोपड़ पंजाब में सतलज नदी के तट पर स्थित है। यहां पर अंडाकार गड्ढे में मानव के साथ दफन कुत्ते तथा तांबे की कुल्हाड़ी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं भारत की स्वतंत्रता के पश्चात पहली खोजी गई स्थल |
- वर्तमान के राजस्थान में बालाथल और कालीबंगा स्थल है। इन स्थलों से चूड़ी कारखाना, खिलौने, ऊंट की हड्डियां, अलंकृत ईंटें, दुर्ग और निचला नगर ,अग्नि बेदिकाय ।
- चन्हूदरो जिसे भारत का लंका शायर कहते हैं । बिना दुर्ग वाला अकेला सिंधु शहर है यह स्थल वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है। मनके बनाने का कारखाना, लिपस्टिक का उपयोग यह पाया गया है।
- केरल नो धोरो स्थल गुजरात में है यहां सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान नमक उत्पादन केंद्र रहा है ।
- मांड जो कि जम्मू और कश्मीर में है यह सबसे उत्तरी IVC का ।
- कोट वाला यह पाकिस्तान में स्थित है यहां भट्टी के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
- दैमाबाद यह महाराष्ट्र में स्थित है। इस स्थान पर कांस्य सहित कांस्य की मूर्तियां प्राप्त हु
- सुत्कन्गेडोरे यह स्थल सबसे पश्चिमी स्थल है और पाकिस्तान में स्थित है। यहां पर मिट्टी की चूड़ियां मिली है।
- बालू यह हरियाणा में स्थित है। इस स्थान से लहसुन के सबसे पहले साक्ष्य मिले है और विभिन्न पौधों के भी प्रमाण मिले हैं।
- कोट दीजी वर्तमान पाकिस्तान में स्थित, यहां से टार, बैल और मां देवी की मूर्तियां प्राप्त हुई।
- सुरकोटदा गुजरात में स्थित है और यहीं से घोड़े की हड्डियों का पहला वास्तविक साक्ष्य प्राप्त हुआ।
- बनवाली यह स्थल हरियाणा में स्थित है सरस्वती नदी तट पर जो कि अब सूख चुकी है। इस स्थान से खिलौना हल, जो,लाजवर्त, अग्नि बेदिया, अंडाकार आकार की बस्ती,अरिये (रेडियल) गलियों का एकमात्र नगर ।
- आलमगीरपुर यह स्थान उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के यमुना के तट पर स्थित है। यह सबसे पूर्वी स्थल है। तांबे के बने हुए टूटे फलक, मिट्टी की बनी वस्तुएं और नाद पर कपड़े की छाप।
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