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हड़प्पा सभ्यता की प्रकृति या स्वरूप (Nature or form of Harappan civilization):-

हड़प्पा सभ्यता की प्रकृति या स्वरूप कैसी थी?
Nature or form of Harappan civilization:-

  • हड़प्पा सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीय क्रांति थी 
  • हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है हड़प्पा सभ्यता का  नगरीय स्वरूप हड़प्पा सभ्यता के अन्तर्गत कम से कम कुछ स्थल ऐसे हैं जिनकी पहचान स्पष्ट रूप में नगरीय स्थलों के रूप में की गयी। 
  • हड़प्पाई लोगों ने तांबे और टिन को मिलाकर कांसा बनाना सीख लिया था। क्योंकि ताम्र उपकरणों की तुलना में कांस्य उपकरण अधिक प्रभावी होते थे।

  • हड़प्पाई नगरीकरण की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी इसकी विकसित नगर निर्माण योजना। ऐसी विकसित नगर निर्माण योजना समकालीन मित्र और मेसापोटामिया में नहीं देखी जा सकती थी। 
  • हड़प्पा सभ्यता उत्तम जल प्रबंधन समकालीन ग्रीक सभ्यता को छोड़कर अन्यत्र दुर्लभ था। 
  • हड़प्पा सभ्यता प्रमुख नगर दो भागों में विभाजित थे पश्चिमी भाग में दुर्ग था तथा पूर्वी भाग में निचला शहर दुर्ग क्षेत्र में शासक वर्ग के लोग रहते थे जबकि निचला नगर रिहायशी इलाका था। 
  • दुर्ग और रिहायशी इलाके के बीच एक प्रकार का विभाजन होता था तथा दुर्ग को सुरक्षा दीवारों से घेरा गया था। महत्वपूर्ण भवन दुर्ग क्षेत्र में मिलते है। 
  • हड़प्पा सभ्यता का निर्माण चेसबोर्ड पद्धति पर किया गया था अर्थात् इस क्षेत्र में मुख्य सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं तथा इन सड़कों की चौड़ाई लगभग 10 मीटर थी। 

  • हड़प्पा सभ्यता के मुख्य सड़क की सफाई के लिए नरमोखे (Manhole) का निर्माण किया गया था तथा इस नाली को पत्थर से ढकने का भी प्रयत्न किया गया था ।
  • हड़प्पा सभ्यता के मकानों एक मंजिल से लेकर बहुमंजिल तक बने थे। 
  • जल निकासी का उत्तम प्रबंधन था। ऊपर से नीचे दूषित जल को लाने के लिए ड्रेन पाइप का उपयोग किया जाता था फिर घर की नाली गली की नाली से मिलती थी और गली की नाली मुख्य सड़क की नाली से मिल जाती थी। 


  • हड़प्पाई नगरीय संरचना के अन्तर्गत नगर-निर्माण योजना में एक प्रकार की एकरूपता देखी जा सकती है और विभिन्न स्थलों के बीच पर्यावरणीय तथा भौगोलिक भिन्नता को देखते हुए नगर निर्माण योजना में विविधता भी स्वाभाविक दिखती है।
  • हड़प्पाई नगरीकरण का आधार उन्नत वाणिज्य-व्यापार ने तैयार कर दिया। हम जानते हैं कि नगरीकरण में कृषि अधिशेष तथा वाणिज्य-व्यापार दोनों की भूमिका होती है परन्तु हड़प्पाई नगरीकरण में वाणिज्य-व्यापार ने निश्चय ही अधिक प्रभावी भूमिका निभायी।

हड़प्पा सभ्यता में वाणिज्य व्यापार को प्रेरित करने वाले दो कारक महत्वपूर्ण हैं।
  •  प्रथम हड़प्पाई शिल्पियों को कुछ ऐसे कच्चे मालों की जरुरत थी जो क्षेत्रीय स्तर पर उपलब्ध नहीं थे और उन्हें व्यापार के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता था। 
  • दूसरे हड़प्पाई क्षेत्र में. कुलीन वर्ग के लोगों को कुछ ऐसी विलासिता पूर्ण सामग्रियों की जरुरत थी जो व्यापार के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता था। 

  • हड़प्पा सभ्यता के अन्तर्गत आंतरिक एवं बाह्य व्यापार दोनों ही विकसित अवस्था में थे।
  • हड़प्पा सभ्यता में हड़प्पाई क्षेत्र में विभिन्न वस्तुओं का आयात और निर्यात किया जाता था। किंतु लाभ हड़प्पाई क्षेत्र के लोग पाते होंगे। 
  • हड़प्पाई क्षेत्र के उन्नत नगर योजना तथा विकसित वाणिज्य व्यापार एक सक्षम शासक वर्ग के शासन को भी दिखाता है किन्तु, ध्यान से देखने पर ऐसा पता चला है कि यहाँ सम्भवतः शिल्पियों एवं व्यापारियों का शासन था।
  • हड़प्पाई नगरों में विविध प्रकार की आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ देखी जा सकती थी। अतः उन गतिविधियों से जुड़े हुए लोगों के समूह भी अलग-अलग होंगे। 
  • हड़प्पाई समाज की संरचना जटिल थी और यह जटिलता धार्मिक मनोभावों एवं सामाजिक रीति-रिवाजों में भी व्यक्त हुई है। हड़प्पाई धर्म के स्वरूप मैं भी व्यापक विविधता देखी जा सकती है 

  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों की सोच वैज्ञानिक थी उन्होंने गणित मापन प्रणाली, धातु कला जैसे विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की थीं। उन्हें अंक माला का ज्ञान था तथा गणना में वे ऊपर के स्तर पर दशमलव प्रणाली (Decimal system) और निचले स्तर पर द्विभाजन (Binary System) प्रणाली का प्रयोग करते थे। 
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों गणना में 16 तथा उनके गुणकों का प्रयोग करते थे। उन्होंने मापन के लिए फिट और क्यूबिक का विकास कर लिया था। उनकी उन्नत नगर निर्माण योजना तथा हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल से प्राप्त स्केल उनकी विकसित मापन प्रणाली को दर्शाते हैं। 
  •  हड़प्पा सभ्यता के लोगों की नौपरिवहन गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि सम्भवतः उन्हें ग्रहों एवं नक्षत्रों का ज्ञान था। 

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